परिक्रमा मार्ग जय-जयकार से गुंजायमान होता रहा
कहीं चाय मिली, कहीं, बिस्कुट मिले, कहीं फलों का वितरण
कार्यालय संवाददाता
मथुरा। अक्षय नवमी पर मथुरा की पंचकोसीय परिक्रमा लगाने के लिए रात्रि से श्रद्दालुओं के कदम घरों के बाहर निकल पड़े। परिक्रमा मार्ग में राधे-राधे की गूंज से पूरा वातावरण गुंजायमान होता दिखाई दिया। राधाकृष्ण की भक्ति में डूबे श्रद्धालुओं को ना तो ठंड की चिंता थी और न ही सड़क पर कंकड़ पत्थरों की। वह कदम एक शक्ति के सहारे आगे बढ़ते चले आ रहे थे।
बड़ी संख्या में महिला-पुरुष क्या बच्चे। सभी परिक्रमा लगाने के लिए आधी रात के बाद सड़कों पर कदम बढ़ाते हुए नजर आए। रात भर परिक्रमा मार्ग में कहीं चाय का वितरण हो रहा था तो कहीं बिस्कुट का। ठंड से बचने के लिए श्रद्धालु गर्म कपड़ों में पैक थे। रात बीतने के साथ भगवान भास्कर के उदय होते ही श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ गई। भीड़ के दबाव को देखते हुए चौराहोंं और तिराहों पर पुलिस ने व्यवस्था संभाली। वाहनों को रोककर श्रद्धालुओं को परिक्रमा के लिए आगे बढ़ाया गया। रास्ते में फ ल वितरण करने भी संस्था के पदाधिकारी आ गए। हालांकि नगर निगम के महापौर डा. मुकेश आर्य बंधु एवं आयुक्त अनुयय झा ने कल परिक्रमा मार्ग का निरीक्षण कर गंदगी, जल भराव की समस्या को गंभीरता से लिया। अधिकारियों को मिट्टी डलवाकर परिक्रमा मार्ग को समतल करने का निर्देश दिया। छटीकरा स्थित गरुड़ गोविंद मंदिर में दर्शन करने वालों की भीड़ नजर आई। वृंदावन में ठाकुर राधा दामोदर मंदिर में मंगला आरती के दर्शन करने वाले सुबह सवा चार बजे मंदिर पहुंचे। दिन भर परिक्रमा लगाने वाले भी आए। मंदिर का आंगन राधा दामोदर महाराज और गिरिराज महाराज की जयंकार से गुंजायमान होता रहा।
आंवले के वृक्ष की पूजा कर महिलाओं ने मांगी मनौती
मथुरा। अक्षय नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा करने का बड़ा महत्व है। सुहागिन और नई बहुएं तैयार होकर आवंले के वृक्ष पर पहुंच गई। पूजा अर्चना कर परिक्रमा लगाई। आंवले की वृक्ष परिक्रमा करने का सिलसिला दोपहर तक चला। मान्यता है कि आंवले की पूजा करने से लिए घर में सुख समृद्धि और पुत्र की प्राप्ति होती है।
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