नई दिल्ली। तीनों कृषि कानून रद्द होने के बाद अब किसान नेता न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर सरकार से भरोसा चाहते हैं। हालांकि सरकार भी इस दिशा में बातचीत को आगे आई है। लिहाजा किसान नेता आंदोलन खत्म करने पर विचार कर रहे हैं। 1 दिसंबर को इसी संबंध में सिंघु बॉर्डर पर 40 किसान संगठनों की बड़ी बैठक हुई। इसमें किसान आंदोलन खत्म करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य कमेटी के गठन के प्रस्ताव पर चर्चा हुई। पंजाब के ज्यादातर किसान संगठन आंदोलन खत्म करने करने को लेकर पहले से ही फैसला कर चुके हैं। सिर्फ 8-10 किसान संगठन ही MSP को लेकर आंदोलन जारी रखने के मूड में हैं। इनमें पंजाब के किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां और सरवन सिंह पंढेर के अलावा हरियाणा के किसान नेता गुरनाम चढूनी शामिल हैं।
किसान संगठन दो फाड़
आज की बैठक में पंजाब के 32 संगठनों ने हिस्सा लिया। लेकिन इसमें दूसरे राज्यों के किसान संगठन नहीं पहुंचे। अब वे पहले से तय 4 दिसंबर की संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में कोई फैसला करेंगे। बेशक संयुक्त किसान मोर्चा एकजुटता का दावा कर रहा है, लेकिन संगठनों में फूट साफ नजर आने लगी है। पंजाब के किसान संगठनों का तर्क है कि MSP कमेटी को केंद्र सरकार पंजाब के किसानों से बातचीत कर रही है। जबकि संयुक्त मोर्चा का तर्क है कि उनके पास ऐसी कोई लिखित सूचना नहीं है। वहीं मोर्चा MSP और किसानों पर दर्ज मुकदमे वापसी तक आंदोलन जारी रखने के मूड में है।
तीन कृषि कानूनों की वापसी के बाद किसानों की मांग एमएसपी कानून बनाने की है। सरकार एमएसपी को लेकर भी बातचीत के लिए तैयार हो गई है। केंद्र सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा को बातचीत का प्रस्ताव भेजा है। उसने किसान मोर्चे से अपने 5 नेताओं के नाम देने के लिए कहा है। यह नेता सरकार के साथ बातचीत करेंगे, जिसके बाद एमएसपी कानून की रूपरेख तय होगी। किसान नेता दर्शनपाल ने बताया कि किसान संगठन इस मामले में 4 दिसंबर को होने वाली बैठक में फैसला लेंगे।
Agriculture Bill रद्द होने के बाद चौतरफा दबाव में घिरे किसान नेता राकेश टिकैत ने 30 नवंबर को ऐलान किया है कि दिसंबर के अखिर तक किसान आंदोलन खत्म हो जाएगा। मीडिया के पूछने पर टिकैत ने कहा कि PM ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए अपनी जुबान दी है। अगर 1 जनवरी तक MSP पर कानून नहीं बनता, तो ये मुद्दा किसानों के आंदोलन की मांग का हिस्सा बन जाएगा। हालांकि टिकैत ने यह भी कहा कि सरकार इस मामले में पीछे नहीं हटेगी।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुनानक देवजी की 552वीं जयंती पर 19 नवंबर को तीनों कृषि कानून रद्द करने का ऐलान किया था। इसके बाद संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन 29 नवंबर को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानून समाप्त करने वाले विधेयक 2021 को दोनों सदनों में पेश कर दिया था। उसे मंजूरी के बाद राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर करने भेज दिया गया है।
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