हार्दिक पटेल ने कांग्रेस छोड़ते ही बदले सुर, पहले अबानी—अंडानी को कोसते थे, अब बताया मेहनती….

हार्दिक पटेल ने कांग्रेस छोड़ते ही सुर भी बदल लिए हैं। गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को ‘टाटा-बाय-बाय’ करके निकल लिए हार्दिक पटेल ने देश के टॉप उद्योगपति अडानी और अंबानी को लेकर कांग्रेस के इल्जामों पर हार्दिक ने आपत्ति दर्ज कराई है। हालांकि कांग्रेस में रहते हुए वे खुद दोनों उद्योगपतियों पर कमेंट्स करते रहे हैं।

गुजरात के पाटीदार नेता गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने अपने ताजा बयान में कांग्रेस पर देश के शीर्ष उद्योगपतियों मुकेश अंबानी और गौतम अडानी पर लगातार ‘गुस्सा निकालने’ का आरोप लगाया है। हार्दिक ने कहा कि ये उद्योगपति अपनी कड़ी मेहनत से आगे बढ़े हैं। उन्हें सिर्फ इसलिए निशाना नहीं बनाया जा सकता, क्योंकि वे प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात से हैं। न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार, हार्दिक ने आगे कहा-“एक व्यापारी अपनी मेहनत से ही ऊपर उठता है। आप अडानी या अंबानी को हर बार गाली नहीं दे सकते। अगर पीएम गुजरात से हैं, तो अंबानी और अडानी पर इस बारे में अपना गुस्सा क्यों निकालें? यह सिर्फ गुमराह करने का एक तरीका था।”

हार्दिक पटेल ने दो टूक कहा कि उन्होंने कांग्रेस में अपने राजनीतिक जीवन के तीन साल बर्बाद कर दिए। हार्दिक पटेल ने दावा किया कि अगर वह कांग्रेस के साथ नहीं होते, तो गुजरात के लिए बेहतर काम कर सकते थे। हार्दिक ने नाराजगी जताई कि न तो उन्हें पार्टी में रहते हुए काम करने का मौका मिला और न ही कांग्रेस ने कोई काम दिया। अपने ताजा बयान से हार्दिक ने साफ कर दिया कि वे कांग्रेस से सख्त नाराज हैं। हालांकि कांग्रेस ने उन्हें अवसरवादी बताया है। कांग्रेस का आरोप है कि आरक्षण विवाद के दौरान उनके खिलाफ दर्ज पुलिस मामलों को वापस लेने के लिए वह छह साल से भाजपा के संपर्क में थे। लेकिन हार्दिक ने इस बात से फिलहाल इनकार किया है कि वह भाजपा के लिए एक लाइन तैयार कर रहे हैं।

जुलाई, 2015 में पाटीदार आरक्षण आंदोलन को लीड करके देशभर की पॉलिटिक्स में छा जाने वाले हार्दिक पटेल ने 18 मई को सोनिया गांधी को एक लंबा-चौड़ा इस्तीफा-पत्र भेजा था। यह पत्र उन्होंने अपने twitter पर भी शेयर किया था। हार्दिक ने कुछ मुद्दें खासतौर पर उठाए थे। उन्होंने इस्तीफे में लिखा था-करीब 3 वर्षों में मैंने यह पाया है कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ विरोध की राजनीति तक सीमित रह गई है। अयोध्या में प्रभु श्री राम का मंदिर हो, CAA-NRC का मुद्दा हो, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाना हो अथवा GST लागू करने जैसे निर्णय हों, देश लंबे समय से इनका समाधान चाहता था और कांग्रेस पार्टी सिर्फ इसमें एक बाधा बनने का काम करती रही।

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