इस पुल को जरा गौर देखिए! ये है पद्मा ब्रिज जो कि पड़ोसी देश बांग्लादेश में निर्मित हुआ है। प्रधानमंत्री शेख हसीना जून को पुल का उद्घाटन करेंगी। यह पुल अपने आप में चर्चा का विषय बना हुआ है। भारत में जगह-जगह सड़कों पर बोर्ड लगा दिख जाएगा कि ‘दुर्घटना से देर भली’ यानी एक लिमिट से ज्यादा स्पीड में व्हीकल्स चलाना खतरनाक साबित हो सकता है। लेकिन ये पुल धीमी गति से चलने वालों को अलर्ट करता है। ताज्जुब होगा कि पद्मा ब्रिज पर पैदल तो छोड़ो, ऑटो तक को चलने की परमिशन नहीं दी जा रही है।
इस ब्रिज से पैदल गुजरने वालों की नो एंट्री होगी। यही नहीं, साइकिल के साथ-साथ सीएनजी से चलने वाले ऑटोरिक्शा को भी पुल पार करने की अनुमति नहीं होगी। अधिकारियों ने साफ कहा कि बहुप्रतीक्षित पद्म ब्रिज उन लोगों के लिए ऑफ-लिमिट होगा जो इसे पार करने का इरादा रखते हैं। यानी यहां जाने की मनाही होगी। अधिकारियों का कहना है कि ब्रिज से व्हीकल्स एक निर्धारित स्पीड से आगे बढ़ेंगे। ऐसे में यदि कोई पैदल जाता है या कोई धीमी गति से चलने वाला व्हीकल्स पुल को पार करता है, तो एक्सीडेंट हो सकता है। ऐसी ही आशंकाओं को देखते हुए ये उपाय किए गए हैं।
17 मई के नोटिफिकेशन के मुताबिक 13 तरह के वाहनों को पुल पार करने की इजाजत होगी। इसके अनुसार, मोटरसाइकिलों के लिए Tk100, कारों या जीपों के लिए Tk750, पिकअप वैन के लिए Tk1 200, माइक्रोबस के लिए Tk1300, छोटी बसों के लिए (31 सीटें या उससे कम) Tk1400, मध्यम बसों(32 सीटें) के लिए Tk2000 का शुल्क लिया जाएगा। टोल के रूप में इससे बड़ी बसों के लिए Tk2400 शुल्क लिया जाएगा। (Tk मतलब बांग्लादेशी करेंसी टका-taka)
यह एक मल्टीपर्पज ब्रिज है। यह रोड-रेल ब्रिज है। यानी व्हीकल्स और ट्रेन दोनों के लिए तैयार किया गया है। इस ब्रिज का निर्माण बांग्लादेश की सरकार ने अपने ही रिर्सोसेज से कराया है। यानी किसी दूसरे देश या संस्थान की मदद नहीं ली है। यह शरीयतपुर-मदारीपुर के जरिये देश के दक्षिण-पश्चिम को उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र से कनेक्ट करता है। यह एक बेहद चुनौतीपूर्ण प्रोजेक्ट माना जाता है। यह ब्रिज 150.12 मीटर (492.5 फीट) लंबा 41 फैला, 6.150 किमी (3.821 मील) कुल लंबाई और 22.5 मीटर (74 फीट) चौड़ाई वाला पुल है। यह बांग्लादेश का सबसे लंबा पुल है और गंगा के ऊपर सबसे लंबा पुल है।
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