
यूनिक समय, नई दिल्ली। कर्नाटक के हावेरी जिले में वर्ष 2024 में हुए बहुचर्चित हनगल गैंगरेप केस ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। हाल ही में कोर्ट द्वारा इस मामले के सात आरोपियों को जमानत दिए जाने के बाद उन्होंने बाइक और कारों के काफिले के साथ विजय जुलूस निकाला, जिससे पूरे जिले में आक्रोश फैल गया है।
सोशल मीडिया पर जुलूस का वीडियो वायरल होने के बाद आम जनता से लेकर सामाजिक कार्यकर्ता तक आरोपियों की रिहाई और उनके इस प्रदर्शन पर सवाल उठा रहे हैं। इस घटनाक्रम ने कानून व्यवस्था और न्याय प्रणाली की संवेदनशीलता पर गंभीर बहस छेड़ दी है।
हनगल की एक युवती ने जनवरी 2024 में सात लोगों पर गैंगरेप का आरोप लगाया था। पीड़िता के अनुसार, आरोपी एक लॉज में घुसकर उसे एक गैर धर्म के युवक से संबंध रखने पर धमकाने लगे और बाद में उसे जबरन जंगल जैसी जगह ले जाकर गैंगरेप किया। पहले इस मामले में केवल नैतिक पुलिसिंग का मामला दर्ज हुआ था, लेकिन मजिस्ट्रेट के सामने पीड़िता के बयान के बाद गैंगरेप की धाराएं भी जोड़ी गईं।
हावेरी सेशंस कोर्ट ने आरोपियों को इसलिए जमानत दी क्योंकि पीड़िता आरोपियों की सटीक पहचान नहीं कर पाई थी। जमानत पाने वालों में आफताब चंदनकट्टी, मदार साब मंडक्की, समीउल्ला लालनवर, मोहम्मद सादिक अगसीमणि, शोएब मुल्ला, तौसीफ और रियाज सावीकेरी शामिल हैं।
रिहाई के बाद अक्की अलूर में निकाले गए विजय जुलूस को लेकर स्थानीय लोगों में गुस्सा है। इसे पीड़िता और समाज के प्रति संवेदनहीनता माना जा रहा है। जुलूस के वीडियो वायरल होने के बाद अक्की अलूर पुलिस ने संज्ञान लेते हुए वीडियो को अदालत में साक्ष्य के रूप में पेश करने और आरोपियों की जमानत रद्द करवाने की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही है।
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