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नई दिल्ली: दफ्तर में काम बस खत्म ही करने वाली थी कि फोन की घंटी बजी। पापा का फोन था। वो काफी परेशान थे, बार-बार पूछ रहे थे कि क्या एलआईसी की पॉलिसी में लगा उनका पैसा डूब जाएगा? मेरे पापा की तरह आज देश के लाखों एलआईसी बीमाधारक इसी चिंता से परेशान है। सबके मन में ये डर है कि क्या अडानी कांड के चलते एलआईसी में लगा उनकी पैसा डूब जाएगा? उनकी पॉलिसी बेकार हो जाएगी? जो थोड़े बहुत पैसे जमाकर पॉलिसी खरीदी थी, वो अब बेकार हो जाएंगे? आपके मन में भी अगर ये तमाम सवाल उठ रहे हैं तो आप भी जान लीजिए कि इसका जवाब है ‘नहीं’। इसे अब विस्तार से समझते है।
24 जनवरी को अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट अडानी समूह की कंपनी पर गंभीर आरोप लगाए गए। कहा गया कि अडानी समूह ने अपने खाते में हेराफेरी की है। शेयरों के दाम ओवर प्राइस कर रखे हैं। रिसर्च फर्म ने 88 सवाल पूछे। अडानी समूह की ओर से भी पलटवार किया गया। दोनों ओर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, लेकिन हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह के शेयर्स धराशाही हो गए है। 10 दिनों में अडानी ने 9 लाख करोड़ रुपये से अधिक गंवा दिए। जिसके बाद कंपनी में निवेश करने वाली कंपनियों की भी मुश्किलें शुरू हो गई। LIC यानी जीवन बीमा निगम यानी देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी ने भी अडानी समूह में बड़ा निवेश किया है। जाहिर है कि जिस शेयर में पेसा लगाएगा, उसके दाम नीचे गिरने से निवेशक को नुकसान होगा। यानी एलआईसी को भी नुकसान हुआ।
एलआईसी ने अडानी के बॉन्ड और इक्विटी में 36474.78 करोड़ रुपये निवेश किया है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने से पहले इस निवेश की वैल्यू 77000 करोड़ थी। अडानी के शेयरों में आ रही गिरावट का असर एलआईसी की कमाई पर जरूर हुआ। लेकिन ये नुकसान इतना बड़ा भी नहीं कि LIC डूब जाए। अगर शेयरों के दाम में उतार-चढ़ाव से कंपनियां डूबने लगे तो रोज यहां हजारों कंपनियां डूबने लगेगी। एलआईसी ने भी स्पष्ट किया है कि अडानी मामले में उन्हें फिलहाल घबराने की जरूरत नहीं है। LIC के पास कुल 41.66 लाख करोड़ से अधिक की संपत्ति है। यानी अडानी समूह में निवेश उनका निवेश 1 फीसदी से भी कम है।
इसे थोड़ा साधारण भाषा में समझते है। किसी को घाटा या मुनाफा तब तक नहीं होता, जब तक वो शेयर को बेचता नहीं है। LIC ने अडानी के शेयर्स में पैसा लगाया है। आज अडानी के शेयर के दाम गिर रहे है, तो एलआईसी को नुकसान हो रहा है। कल बढ़ेंगे तो मुनाफा होगा। इस तरह के नफा-नुकसान को नोशनल मुनाफा या नुकसान कहते हैं, क्योंकि ये असली घटा या लाभ नहीं होता। जब आप शेयर बेचते हैं तब घाटे या नफा की बात होती है। चूंकि LIC ने अभी अडानी के कोई शेयर बेचे नहीं है इसलिए अभी घाटे की बात नहीं की जा सकती।
आप जब कोई पॉलिसी खरीदते हैं तो आपसे लिए गए प्रीमियम के पैसों को बीमा कंपनियां मार्केट में लगाती है। वहां से मुनाफा कमाकर वो आपके क्लेम का सेटलमेंट करती है। चूंकि बीमा कंपनियों के साथ क्लेम लौटाने की रफ्तार कम होती है, इसलिए वो मार्केट में लॉग टर्म निवेश पर फोकस करती है। इसलिए तो बीमा कंपनी हमेशा चाहती है कि आप लंबी अबधि वाला प्लान चुनें। आपकी उम्र लंबी हो। जितने दिन तक आपका पैसा उनके पास होगा, वो उससे कमाई करते रहेंगे।
भारतीय जीवन बीमा निगम ने अडानी समूह के अलावा भी कई अन्य कंपनियों में निवेश किया है। एलआईसी ने बाजार की 36 कंपनियों में 10 लाख करोड़ के अधिक का निवेश किया है। अगर अडानी में उसके निवेश की तुलना करें तो ये 1 फीसदी से भी कम है। 20 सितंबर 2022 तक तगम को कुल AMU यानी एसेट अंडर मैनेजमेंट 41 लाख 66 हजार करोड़ था। यहां एएमयू का मतलब उस पैसे से हैं, जो बीमा कंपनियां बाजार में मैनेज करती है। अडानी में उनता निवेश 36474 करोड़ है, जो उनके कुल निवेश का 1 फीसदी से भी कम है। निवेश कम का मतलब खतरा भी कम। एलआईसी भी अपने निवेश को लेकर सफाई दी और साफ किया कि यह निवेश इन्वेस्टमेंट संस्था के लिये बनाये गये निर्धारित रिस्क मैनेजमेंट फ्रेमवर्क के भीतर किया गया है। डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट के सचिन तुहिन कांत पांडे ने न्यूज एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत के दौरान कहा कि एलआईसी के निवेशकों को अभी घबराने की जरूरत नहीं है। उनका निवेश सुरक्षित है।
एलआईसी एक सुरक्षित सिक्योरिटीज के तहत आती है। उनके पास रेटेड बॉन्ड्स और इक्विटी है। वो एक सुरक्षित नीति के तहत निवेश करते हैं। उनके द्वारा निवेश की गई कंपनी के शेयरों में उतार-चढ़ाव का असर उनके बुक्स में दिखता है। इसका असर बीमाधारकों पर होता नहीं दिख रहा है। LIC ने भी पब्लिक नोट जारी कर बीमाधारकों, निवेशकों को अडानी समूह में अपने निवेश के स्तर को स्पष्ट कर दिया है। ये भी बता दिया है कि आज की तारीख में उस निवेश की क्या वैल्यू है। इस वक्त अडानी के शेयरों में उतार-चढ़ाव के कारण उसके कमाई पर असर पड़ रहा है ।यानी अगर आपके पास एलआईसी की पॉलिसी है तो आपको इतना परेशान होने की जरूरत नहीं। यानी साफ शब्दों में कहें तो अडानी कांड से ना तो मेरे पापा को घबराने की जरूरत है और ना ही लाखों LIC पॉलिसी धारकों को।
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