
काबुल। अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के बाद लोगों की जिंदगी नरक से बदतर हो गई है। उनके पास न रहने को घर है और न रोटी। करीब 3.5 करोड़ लोगों को यह पता नहीं होता कि उनकी आगे की जिंदगी कैसे कटेगी? एक वक्त का भी खाना नसीब होगा कि नहीं। ठंड में अफगानिस्तान के हालात और खराब होने की आशंका है। घर और कपड़े नहीं होने से लोगों बीमार होने लगे हैं। इस समय सिर्फ पाकिस्तान के स्वयंसेवी संगठन अफगानियों की मदद कर रहे हैं। हालांकि अफगानिस्तान सरकार ने दावा किया गया है कि जल्द अकेले काबुल में ही 40 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। वहीं, देश को भुखमरी से बचाने फूड फॉर वर्क स्कीम लॉन्च की है।
एक स्टडी के अनुसार, 95 प्रतिशत अफगानियों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पा रहा है। परिजनों को अपने बच्चों की फिक्र है। लेकिन उन्हें नहीं मालूम कि वे बच्चों का पेट कैसे भरें? अफगानिस्तान में 35 मिलियन(3.5 करोड़) लोग भूखे हैं या नहीं जानते कि उनका अगला भोजन कहां से आएगा? इनमें से अधिकांश बच्चे हैं।
हालांकि तालिबान सरकार ने भुखमरी से निपटने फूड फॉर वर्क स्कीम लॉन्च की है। इसके तहत मजदूरों को मजदूरी के बदले में गेहूं दिया जाएगा। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने रविवार को दक्षिणी काबुल में प्रेस कांफ्रेंस में इस योजना का ऐलान किया था। अफगानिस्तान के सभी बड़े शहरों में ये स्कीम लागू होगी। अकेले काबुल में ही 40 हजार लोगों को रोजगार देने की बात कही जा रही है।
हजारों परिवार खुले में टेंट में रह रहे हैं। चूंकि ठंड की दस्तक हो चुकी है, इसलिए इन परिवारों को अपने स्वास्थ्य को लेकर भी चिंता होने लगी है। खुले मैदानों में रह रहे इन परिवार के पास गर्म कपड़े नहीं है। ऐसे में अभी से बच्चे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। विशेष रूप से ठंडे शुष्क मौसम के कारण हाथों, चेहरे और पैरों की फटी त्वचा फटने लगी है। उनके लिए कंबल दान करने की अपील की जा रही है।
यह तस्वीर पाकिस्तान से सटे चमन बॉर्डर की है। ये अफगानी बच्चे अपने परिवार से बिछुड़ गए हैं। इन बच्चों को उनके परिवार तक पहुंचाने के लिए पाकिस्तानी NGO आगे आया है।
अफगानिस्तान के हजारों परिवार युद्ध की भेंट चढ़ गए हैं। उन्हें अपना घर-परिवार छोड़कर टेंट में रहना पड़ रहा है। हजारों गरीब परिवार के पास रोजगार नहीं होने से उनके बच्चे भूख से परेशान हैं।
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