नई दिल्ली। ब्लैक फंगस के बाद अब देश में एक और फंगल अटैक ने चिंता बढ़ा दी है। ये है एस्पेरगिलिस ब्लैक फंगस की तरह ये भी कोरोना के मरीज़ों पर हमला कर रहा है। ये संक्रमण ऐसे मरीज़ों में हो रहा है जो या तो कोरोना पॉजिटिव हैं या फिर कोरोना से उबर चुके हैं। एस्पेरगिलिस के 8 केस गुजरात के वडोदरा में मिले हैं। इसके अलावा ऐसे कुछ मरीजों का इलाज मुंबई और उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद में चल रहा है।
आखिर क्या है एस्पेरगिलिस और क्या हैं इसके लक्षण? किन लोगों पर इस फंगल अटैक का खतरा रहता है? आईए इन तमाम सवालों का जवाब आसान भाषा में समझने की कोशिश करते हैं।
क्या है एस्पेरगिलिस?
इस तरह के फंगस आपके के घर या फिर आस-पास रहते हैं। आमतौर पर ये मरे हुए पत्ते और सड़ी-गली चीज़ों पर पैदा होते हैं। वैसे तो ये फंगस हमारी सांसों के जरिए शरीर के अंदर चला जाता है, लेकिन हम जल्दी बीमार नहीं पड़ते। इस फंगस का ऐसे लोगों पर ज्यादा खतरा है जिनकी इम्यूनिटी काफी कमज़ोर है। खास कर इन दिनों कोरोना के मरीजों पर इसका खतरा काफी बढ़ गया है। किसे हो सकता है एस्पेरगिलिस?
आमतौर पर ये संक्रमण कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को अपना शिकार बनाता है। अमेरिकी हेल्थ बॉडी के मुताबिक ये ऐसे लोगों में फैलता है जिन्हें अस्थमा हो।
क्रोनिक पल्मोनरी एस्परगिलोसिस आमतौर पर उन लोगों में होता है, जिन्हें तपेदिक, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), या सारकॉइडोसिस सहित अन्य फेफड़े की बीमारियां हैं। जिसका स्टेम सेल प्रत्यारोपण या अंग प्रत्यारोपण हुआ है। कैंसर के लिए कीमोथेरेपी लेने वाले मरीज।
क्या हैं इसके लक्षण?
नाक बहना
सिरदर्द,
सूंघने की क्षमता में कमी
खांसी में खून आना
सांस लेने में तकलीफ
वजन कम होना
थकान
एक्सपर्टस का मानना है कि ये ब्लैक फंगल संक्रमण से कम खतरनाक है, लेकिन इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। डॉक्टर इसे व्हाइट फंगस का ही एक रूप मानते हैं। ब्लैक और व्हाइट फंगस की अपेक्षा यह थोड़ा कम खतरनाक है।
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