Ajab-Gajab: सुनसान जंगल में क्यों और कहां से आती हैं भूतिया आवाजें? वैज्ञानिकों ने किया चौंकाने वाला दावा

सुनसान जंगल में डरावनी आवाजें कहां से आती हैं? क्‍यों ऐसा लगता है क‍ि कोई पीछे से पुकार रहा है? साइंटिस्‍ट ने इसकी वजह

बताई है. यह हमारे ब्रेन का खेल है

जब आप सुनसान जंगल में घूम रहे हों, आपके आसपास कोई न हो, तब भी पीछे से हल्‍की सी आवाज आती है. कई बार तो यह इतनी डरावनी होती है क‍ि रोंगटे खड़ी कर देती है. ऐसा लगता है क‍ि कोई आपका नाम पुकार रहा है. हमें लगता है क‍ि कोई भूत पीछा कर रहा है. कोई आत्‍मा भटक रही है, जो बात करने की कोश‍िश कर रही है. लेकिन सच क्‍या है? सुनसान जंगल में कहां से आती हैं अजीब आवाजें? वैज्ञान‍िकों ने इसकी वजह ढूंढ न‍िकाली है..

लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक, न तो वहां कोई आत्‍मा होती है और न ही क‍िसी का भूत. पीछे से आ रही आवाजें या क‍िसी भी तरह का शोर ‘श्रवण पेरिडोलिया’ (Auditory Pareidolia) की वजह से होता है. इस शोर का स्रोत अलग-अलग आवाजें हैं. जैसे पंखे से आने वाली आवाज, बहता पानी, हवाई जहाज की आवाज, वाश‍िंंग मशीन की गड़गड़ाहट या कुछ भी और. ऑडियोलॉजिस्ट के अनुसार, इन आवाजों की वजह से हमारे ब्रेन में एक खास तरह का पैटर्न बनता है, जिसकी वजह से ये आवाजें हमें सुनाई देती हैं.

र सिंड्रोम भी कहते इसे
आपको लग रहा होगा क‍ि मैं मत‍िभ्रम की बात कर रहा हूं, लेकिन ‘श्रवण पेरिडोलिया’ मत‍िभ्रम बिल्‍कुल नहीं है. ऐसा तब होता है जब आप ऐसी आवाजें सुनते हैं, जो वास्‍तव में वहां मौजूद नहीं होती. साइंस की भाषा में इसे म्यूजिकल ईयर सिंड्रोम भी कहा जाता है. इसका श‍िकार ज्‍यादातर लोगों को लगता है क‍ि उन पर कोई नजर रख रहा है, जबक‍ि वास्‍तव में ऐसा बिल्‍कुल भी नहीं होता.

 ये बला है क्‍या?
सेंटर फॉर हियरिंग लॉस हेल्प के सीईओ नील बाउमन ने कहा, हमारे मस्तिष्क का एक बड़ा डेटाबेस है. उसका एक सेट पैटर्न है. जो भी आवाज हम सुनते हैं, या जिस भी शब्‍द के बारे में हम जानते हैं, उनमें से यह उन्‍हीं शब्‍दों को चुनता है, जो इसके पैटर्न के ह‍िसाब से अच्‍छा लगता है. वह इसे कैप्‍चर कर लेता है. ब्रेन जैसी पर‍िस्‍थ‍ित‍ि देखता है, उस पैटर्न के ह‍िसाब से शब्‍द दिमाग में गूंजने लगते हैं. जैसा हम महसूस करते हैं, वैसी ही तस्‍वीर ब्रेन तक पहुंचती है और वह शब्‍द चुन लेता है.जहां पैटर्न थोड़ा अलग होगा, आवाज भी अलग आएगी.

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