जेनेवा। डेनमार्क में के अलग किस्म के कोरोना संक्रमण 214 मामलों की पहचान होने के बाद से ही विश्व स्वास्थय संगठन हाई अलर्ट पर चला गया है। WHO ने स्वीकार किया है कि कोरोना वायरस में म्यूटेशन हो रहा है और इससे वैक्सीन के सभी प्रयासों को बड़ा झटका लग सकता है। इस नए वायरस के ये मामले मिंक यानी उदबिलाव से जुड़े बताए जाते हैं। दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा रविवार को 5 करोड़ के पार हो गया। अब तक 5 करोड़ 3 लाख 69 हजार 940 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। राहत की बात है कि इनमें 3 करोड़ 56 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अभी 1.34 करोड़ यानी 26.79% मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है। संक्रमण के चलते पूरी दुनिया में अब तक 12 लाख 57 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं।
बता दें कि बीते पांच नवंबर को इनमें से 12 मामलों में एक खास किस्म की कोरोना स्ट्रेन पाई गई है। इस खुलासे के बाद दुनिया में नए खतरे की आशंकाएं जताई जाने लगी हैं। समाचार एजेंसी रॉयटर की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस में हुए बदलावों को लेकर डेनमार्क की सरकार एक करोड़ 70 लाख मिंक को मारने की योजना बना रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO) के अधिकारियों का कहना है कि मिंक नए SARS-CoV-2 वायरस के लिए भंडार गृह साबित हुए हैं। डेनमार्क में कोरोना वायरस की परिवर्तित यानी खास किस्म की इस स्ट्रेन से एक दर्जन लोगों में संक्रमण हुआ है। कोपेनहेगन स्थित यूरोपीय कार्यालय में विश्व स्वास्थ्य संगठन की आपात अधिकारी कैथरीन स्मॉलवुड ने कहा कि यह निश्चित रूप से दुनिया के लिए बड़ा जोखिम है।
दुनिया भर में नए तरह का कोरोना फैलने की आशंका
कैथरीन ने कहा कि मिंक की आबादी इंसानों में कोरोना की इस नई नस्ल के फैलने में मददगार साबित हो सकती है। इसके बाद यह इंसानों से इंसानों के बीच फैलने लगेगा… ऐसे में सवाल उठने लगा है कि कोरोना संक्रमण की काट के लिए दुनियाभर में जिन टीकों पर काम हो रहा है क्या वे इस परिवर्तित नस्ल पर भी कारगर होंगे। यदि ये टीके बेअसर साबित हुए तो दुनियाभर में बड़ा नुकसान हो सकता है. उधर विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य विज्ञानी सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि डेनमार्क में पाई गई कोरोना की नई बदली हुई नस्ल यानी स्ट्रेन टीकों की प्रभावशीलता को बेअसर कर देगी। उन्होंने यह भी कहा कि हमें इस बदलाव का दुष्प्रभाव जानने के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा. मुझे नहीं लगता है कि हमें किसी जल्दबाजी में किसी निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए। हालांकि हम लोग हाई अलर्ट पर हैं और एक टीम को डेनमार्क भेजा गया है।
सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि कोरोना वायरस यानी SARS-CoV-2 में हुआ यह विशेष उत्परिवर्तन वैक्सीन प्रभावकारिता को प्रभावित करेगा या नहीं, मौजूदा वक्त में हमारे पास कोई सबूत नहीं है कि ऐसा होगा. वहीं डब्ल्यूएचओ हेल्थ इमर्जेंसी प्रोग्राम में कार्यरत विज्ञानी लीड मारिया वान केरखोव ने भी कहा कि अभी कुछ कहने से पहले कोरोना में हुए इस बदलाव का अध्ययन करने की जरूरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के हेल्थ इमर्जेंसी प्रोग्राम के कार्यकारी निदेशक माइकल रेयान ने कहा कि अभी तक कोई सबूत नहीं है कि कोरोना में हुआ यह उत्परिवर्तन अब तक के वायरस से अलग व्यवहार करता है। इसमें बदलाव भले ही हुआ हो लेकिन यह अभी भी एक ही वायरस है। हमें इस बात का मूल्यांकन करना है कि क्या इस वायरस के फैलने में कोई अंतर है। क्या इस बदलाव से इसके संक्रमण के इलाज कोई असर पड़ेगा. फिलहाल किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले हमें एक लंबा रास्ता तय करना होगा।
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