अलीगढ़। खुशियों को मातम में बदलने की घटनाएं कम नहीं, लेकिन मातम खुशियों में तब्दील हो जाए ऐसा तो कम ही होता है। ऐसा ही जीवंत उदाहरण सामने आया है अतरौली के गांव किरथल में। यहां एक ग्रामीण मरने के पांच घंटे बाद फिर जी उठा। नजारा देख बिलखता परिवार व अंतिम संस्कार की तैयारी में जुटे ग्रामीण व नाते रिश्तेदारों को भी इस पर विश्वास नहीं हुआ। जब ग्रामीण ने सभी को नाम से पुकारना शुरू किया तब कहीं जाकर सभी को भरोसा हुआ।
किरथल गांव निवासी 53 साल के रामकिशोर सिंह उर्फ भूरा सिंह का चंद रोज पहले निधन हो गया था। शरीर से स्वस्थ ग्रामीण की मौत से परिवार ही नहीं गांव के लोग भी भौचक रह गए। परिवार में कोहराम मच गया। सूचना मिलने पर करीबी, नाते रिश्तेदार भी गांव पहुंच गए। बिलखते परिवार को देखकर ग्रामीण भी अपनी आंखों को नम होने से रोक नहीं पाए। नाते रिश्तेदारों को गांव पहुंचते देख परिवार व ग्रामीणों ने अंतिम संस्कार की तैयारी करना भी शुरू कर दिया। इसके बीच ही ग्रामीण के शरीर में हलचल शुरू हो गई। रामकिशोर के शरीर में हलचल ने सभी को हैरान कर दिया। ग्रामीण ही नहीं परिवार के लोग भी एक बारगी सहम गए। जब ग्रामीण ने परिवार के सदस्यों का हाल देखा तो एक-एक करके सभी को नाम से पुकारा और बताया कि चिंता मत करो मैं बिल्कुल ठीक हूं। गलती से मुझे ले गए थे अब वापस भेज दिया।
इतना सुनते ही परिवार के साथ पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। रामकिशोर सिंह के दोबारा जीवित होने की खबर से गांव ही नहीं आस-पास के ग्रामीणों ने भी उधर का रुख कर लिया। घटना के बाद से ही लोग उनके पास मृत्यु के दौरान के नजारा व वाक्या जानने के लिए पहुंच रहे हैं। मामला इन दिनों अतरौली क्षेत्र में सुर्खियां बना है।
बोले रामकिशोर सिंह-
ज्यादा तो कुछ याद नहीं, बस इतना ही दिखा की एक बैठक चल रही है जिसमें कुछ दाढ़ी वाले महात्मा सबसे बड़ी दाढ़ी वाले महात्मा को अपना-अपना पक्ष बता रहे हैं, इसी दरम्यान बडे़ महात्मा ने पूछा कि इसका क्या है, इसे क्यों ले आए, देखों जरा, बस एक आवाज और आई इसे क्यों ले आए,अभी वक्त है।
इतना सुनने के बाद ही लगा कि किसी ने धक्का दे दिया। और जब आंख खुली तो परिवार को बिलखते हुए देखा। इस दरम्यान दिखने वाले किसी का चेहरा ध्यान है और न इसके सिवाए और कुछ बात।
मामले पर आईएमए के अध्यक्ष डॉ.संजय मित्तल ने बताया कि चमत्कार का कोई जवाब नहीं, पहले भी इस तरह की घटनाएं सामने आई हैं। विज्ञान हमें इसे स्वीकारने की इजाजत नहीं देता, चमत्कार होते रहते हैं, फिर यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि किस परिस्थित में मौत हुई और किसने मृत्यु घोषित की।
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