वाशिंगटन
अमेरिका ने भारत को मिले सामान्य तरजीही प्रणाली (जीएसपी) दर्जे को खत्म कर दिया है, जो पांच जून से लागू हो जाएगा। अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने वाइट हाउस में इसकी घोषणा की है। ट्रंप ने चार मार्च को इस बात की घोषणा की थी कि वह जीएसपी कार्यक्रम से भारत को बाहर करने वाले हैं। इसके बाद 60 दिनों की नोटिस अवधि तीन मई को समाप्त हो गई। अब इस संबंध में किसी भी समय औपचारिक अधिसूचना जारी की जा सकती है। इस बीच भारत ने पहली प्रतिक्रिया में कहा है कि इस मुद्दे के समाधान के लिए अमेरिका के सामने प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन उन्हें स्वीकार नहीं हुआ।
क्या है GSP दर्जा?
GSP यानी जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज। अमेरिका द्वारा अन्य देशों को व्यापार में दी जाने वाली तरजीह की सबसे पुरानी और बड़ी प्रणाली है। इसकी शुरुआत 1976 में विकासशील में आर्थिक वृद्धि बढ़ाने के लिए की थी। दर्जा प्राप्त देशों को हजारों सामान बिना किसी शुल्क के अमेरिका को निर्यात करने की छूट मिलती है। भारत 2017 में जीएसपी कार्यक्रम का सबसे बड़ा लाभार्थी रहा। वर्ष 2017 में भारत ने इसके तहत अमेरिका को 5.7 अरब डॉलर का निर्यात किया था। अभी तक लगभग 129 देशों को करीब 4,800 गुड्स के लिए GSP के तहत फायदा मिला है।
क्या है इसका मकसद?
यूएस ट्रेड रेप्रिजेंटटिव ऑफिस के मुताबिक GSP का उद्देश्य विकासशील देशों को अपने निर्यात को बढ़ाने में मदद करना है ताकि उनकी अर्थव्यवस्था बढ़ सके और गरीबी घटाने में मदद मिल सके।
ट्रंप ने क्या कहा?
ट्रंप ने शुक्रवार को कहा, ‘मैंने यह तय किया है कि भारत ने अमेरिका को अपने बाजार तक समान और तर्कपूर्ण पहुंच देने का आश्वासन नहीं दिया है। इसलिए 5 जून, 2019 से भारत को प्राप्त लाभार्थी विकासशील देश का दर्जा समाप्त करना बिल्कुल सही है।’ ट्रंप ने इस संबंध में अमेरिका के तमाम शीर्ष सांसदों की अपील ठुकराते हुए यह फैसला लिया है। सांसदों का कहना था कि इस कदम से अमेरिकी उद्योगपतियों को प्रतिवर्ष 30 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त शुल्क देना होगा।
भारत की प्रतिक्रिया
अमेरिका के इस कदम पर कॉमर्स मिनिस्ट्री ने बयान जारी करके क है कि भारत ने अमेरिकी अपील पर समाधान का प्रस्ताव दिया था, लेकिन दुर्भाग्यवश यह अमेरिका को स्वीकार नहीं हुआ। बयान में कहा गया, ‘अमेरिका या अन्य किसी देश की तरह ऐसे मामले में भारत राष्ट्रीय हित को आगे रखेगा। हमारी महत्वपूर्ण विकास अनिवार्यताएं और चिंताए हैं और हमारे लोग भी बेहतर जीवन स्तर की इच्छा रखते हैं। यह सरकार के रुख में मार्गदर्शक रहेगा।’ सरकार ने यह भी कहा है कि आर्थिक रिश्तों में इस तरह की चीजें होती हैं जिन्हें आपस में मिलकर सुलझा लिया जाता है। यह एक निरंतर प्रक्रिया है और हम अमेरिका के साथ रिश्ते को मजबूत करते रहेंगे।
व्यापार घाटा कम करने की कवायद
गौरतलब है कि ट्रंप अमेरिका का व्यापार घाटा कम करने की जद्दोजहद कर रहे हैं और इसी क्रम में वह भारत पर अमेरिकी वस्तुओं पर ऊंची दर से शुल्क लगाने का आरोप लगता रहे हैं। उन्होंने अमेरिकी संसद के नेताओं को लिखे पत्र में कहा था, ‘मैं यह कदम अमेरिका और भारत सरकार के बीच गंभीर बातचीत के बाद उठा रहा हूं। बातचीत में मुझे लगा कि भारत ने अमेरिका को यह भरोसा नहीं दिलाया कि वह अमेरिका के लिए बाजार उतना ही सुलभ बनाएगा जितना अमेरिका ने उसके लिए बनाया है।’
लंबे वक्त तक चली बातचीत
अमेरिका के एक अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर कहा, ‘पिछले एक साल से भारतीय समकक्षों के साथ जारी बातचीत के बाद अंततः मार्च में हमें यह घोषणा करनी पड़ी कि भारत को अब जीएसपी के तहत मिलने वाले लाभ से वंचित रखा जाए।’ उन्होंने कहा, ‘यह निलंबन अब तय है। अब काम यह है कि हम आगे कैसे बढ़ते हैं, आगे की राह तलाशने के लिए हम नरेंद्र मोदी की दूसरी सरकार के साथ किस तरह से काम कर पाते हैं?’
भारत पर क्या होगा असर?
GSP के तहत केमिकल्स और इंजिनियरिंग जैसे सेक्टरों के करीब 1900 भारतीय प्रॉडक्ट्स को अमेरिकी बाजार में ड्यूटी फ्री पहुंच हासिल है। अमेरिका द्वारा GSP के तहत लाभ बंद किया जाना भारत के लिए निश्चित तौर पर एक झटका है। हालांकि, वाणिज्य सचिव अनूप वधावन ने पिछले दिनों कहा था कि भारत को कोई खास नुकसान होगा। वधावन ने कहा कि GSP के तहत तरजीही दर्जा वापस लेने का कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि GSP के फायदे बहुत ज्यादा नहीं थे। भारत GSP के तहत 5.6 अरब डॉलर (करीब 39,645 करोड़ रुपये) मूल्य के सामानों का अमेरिका को निर्यात करता है। इससे भारत को सालाना 19 करोड़ डॉलर (करीब 1,345 करोड़ रुपये) का ड्यूटी बेनिफिट मिलता है। भारत मुख्य तौर पर कच्चे माल और ऑर्गैनिक केमिकल्स जैसे सामानों का अमेरिका को निर्यात करता है।
भारत ने 2017-18 में अमेरिका को 48 अरब डॉलर (3,39,811 करोड़ रुपये) मूल्य के उत्पादों का निर्यात किया था। इनमें से सिर्फ 5.6 अरब डॉलर यानी करीब 39,645 करोड़ रुपये का निर्यात GSP रूट के जरिए हुआ। इन आंकड़ों से भी जाहिर होता है कि भारत को बहुत ज्यादा नुकसान नहीं होगा। दरअसल, डॉनल्ड ट्रंप व्यापार घाटे को कम करने के लिए काफी आक्रामक हैं। चीन के साथ तो उन्होंने ट्रेड वॉर ही छेड़ दी है। बता दें कि भारत अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस वाला 11वां सबसे बड़ा देश है यानी भारत का अमेरिका को निर्यात वहां से आयात से ज्यादा है। 2017-18 में भारत का अमेरिका के प्रति सालाना ट्रेड सरप्लस 21 अरब डॉलर (करीब 1,48,667 करोड़ रुपये) था।
(एजेंसियों से इनपुट के साथ)
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