चंडीगढ़: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा कांग्रेस के सांसद रवनीत बिट्टू की ओर से लोकसभा में पूछे सवाल के जवाब में बलवंत सिंह राजोआना की फांसी की सजा माफ न किए जाने संबंधी की गई घोषणा पर एस.जी.पी.सी. ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कमेटी के अध्यक्ष भाई गोबिंद सिंह लौंगोवाल ने कहा कि अमित शाह की इस घोषणा से सिखों की भावनाओं को भारी ठेस पहुंची है। लौंगोवाल ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह का यह बयान कि राजोआना की मौत की सजा को माफ नहीं किया गया था, सिख कौम के लिए एक सदमा है।
बिट्टू ने पूछा था अमित शाह से सवाल
उल्लेखनीय है कि लुधियाना से कांग्रेसी सांसद तथा बेअंत सिंह के पोते रवनीत सिंह बिट्टू ने संसद के दोनों सदनों में सोमवार को हुई चर्चा का हवाला देते हुए गृहमंत्री से सवाल किया था कि आपने बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा क्यों बदली। शाह ने हिन्दी में जवाब दिया कि कृपया मीडिया रिपोर्ट्स पर मत जाइए। कोई माफी नहीं दी गई।
पटियाला जेल में बंद है राजोआना
फिलहाल पटियाला केंद्रीय कारावास में बंद राजोआना इस मामले में मुख्य दोषी है। पंजाब पुलिस के पूर्व कांस्टेबल राजोआना को चंडीगढ़ स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सी.बी.आई.) की विशेष अदालत ने 1 अगस्त, 2007 को फांसी की सजा सुनाई थी और उसे 31 मार्च, 2012 को फांसी दी जानी थी। इसके बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा दायर क्षमा याचिका के बाद 28 मार्च, 2012 को गृह मंत्रालय ने उसकी मौत की सजा पर रोक लगा दी थी। गृह मंत्रालय ने इसी महीने सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती के अवसर पर मानवीय आधार पर राजोआना की मौत की सजा घटाकर आजीवन कारावास में बदलने का फैसला किया था जिसकी बिट्टू ने आलोचना की थी। गृह मंत्रालय ने इस अवसर पर राजोआना के साथ-साथ देशभर में बंद 8 अन्य सिख कैदियों को भी विशेष छूट दी थी।
1995 में आत्मघाती हमले में मारे गए थे बेअंत सिंह
चंडीगढ़ स्थित सिविल सैक्रेटरिएट में 31 अगस्त, 1995 को आत्मघाती हमले में बेअंत सिंह और 16 अन्य लोगों की मौत हो गई थी। राजोआना ने बेअंत सिंह की हत्या के लिए 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों को कारण बताया था।
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