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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील पर सुनवाई के दौरान दस्तावेजों के चोरी होने की बात से सरकार ने यू-टर्न ले लिया है। केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने राफेल लडाकू विमान सौदे की प्रक्रिया से जुड़े दस्तावेजों को लेकर खुली अदालत में जो कुछ कहा था, बंद लिफाफे में दिए जवाब में उससे पलट गए हैं। इसमें वेणुगोपाल ने माना कि दस्तावेज चोरी नहीं हुए हैं, बल्कि लीक हुए हैं, ये अवैध रूप से फाइल लीक करने का मामला है।
इससे पहले बुधवार को राफेल डील को लेकर अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष दस्तावेजों के चोरी होने की बात कही थी। उन्होंने राफेल फैसले की रिव्यू याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि प्रशांत भूषण, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी की अर्जी जिन दस्तावेजों का हवाला दे रही है, वो तो चोरी हो चुके दस्तावेजों (stolen documents) पर आधारित है, क्योंकि इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर कुछ अखबारों और न्यूज एजेंसियों ने खबरें चलाई थी।
दस्तावेज चोरी होने की जानकारी के बाद शीर्ष कोर्ट में छाए सन्नाटे को तोड़ते हुए खुद चीफ जस्टिस गोगोई ने पूछा था कि मिस्टर अटॉर्नी….ये आलेख मीडिया में कब छपा? इसके जवाब में अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि माई लॉर्ड आठ फरवरी को। कोर्ट ने फिर प्रश्न किया था कि तब से अब तक लगभग एक महीने का समय बीत चुका है। इस मामले में आपने क्या कार्रवाई की? इस सवाल पर अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि अभी तो बस जांच ही चल रही है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल से जवाब तलब कर लिया था।
अब इसके बाद दो दिन में अटॉर्नी जनरल अपने बयान से पलटे और कहा कि राफेल सौदे से जुड़ी प्रक्रिया के सभी मूल दस्तावेज फाइल में मौजूद हैं, लेकिन मीडिया में जिस तरह से उनको दिखाया गया और उन्हें सार्वजनिक किया गया, उसे देखते हुए ये साफ है कि मूल दस्तावेजों की फोटो कॉपी कराई गई या फोटो खींची गई है. अधिकारियों की लापरवाही से राफेल डील की फाइलों के अहम दस्तावेज लीक हुए हैं।
उन्होंने कहा कि ये ऑफिस सीक्रेट एक्ट का उल्लंघन है। सरकार जांच के बाद जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। इसकी सूचना भी कोर्ट को दी जाएगी। वहीं, आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि अटॉर्नी जनरल द्वारा ‘चोरी’ शब्द का इस्तेमाल ‘ज्यादा सख्त’ था. इससे बचा जा सकता था।
इस मुद्दे पर राहुल गांधी ने कहा था- अगर सरकार कह रही है कि राफेल सौदे के दस्तावेज चोरी होने से ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट का उल्लंघन हुआ है, तो उस पर एफआईआर दर्ज कराएं। पीएमओ का मतलब प्रधानमंत्री ऑफिस नहीं। सीधे प्रधानमंत्री है। इसके अलावा कई विपक्षी नेताओं ने दस्तावेज चोरी होने की बात पर सरकार को ही कठघरे में खड़ा किया था।
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