आयुष्मान लाभार्थियों को मिलेगी जिला अस्पतालों की सूची

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) से जुड़े लाभार्थियों को मुफ्त इलाज कराना अब और आसान हो जाएगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी (एनएचए) ने लाभार्थियों को उनके नजदीकी या जिले के उन अस्पतालों की सूची मुहैया कराने का फैसला किया है, जहां इसके तहत मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध है। अंतिम व्यक्ति तक इस योजना का लाभ पहुंचाने को लेकर शिशिर चौरसिया ने एनएचए के सीईओ डॉ. इंदु भूषण से बातचीत की। पेश है अंश :

इस योजना को ऐसे डिजाइन किया गया है कि इससे जुड़े लाभार्थी देश के किसी भी हिस्से में मुफ्त इलाज करा सकते हैं। इसमें पोर्टेबिलिटी की पूरी व्यवस्था है।

प्रश्न- इस योजना में फर्जीवाड़ा रोकने की क्या व्यवस्था की गई है?
उत्तर- पुरानी योजना से सबक लिया गया है। हमें पता है कि किस बीमारी के इलाज में फर्जीवाड़े की गुंजाइश है। इसलिए उन बीमारियों के अधिकतर पैकेज को सरकारी अस्पतालों में ही लागू किया गया है। जहां इन बीमारियों के पैकेज को निजी अस्पतालों में लागू किया गया है, वहां प्री-ऑथराइजेशन जरूरी कर दिया गया है। मजबूत डाटा एनालिटिक्स पद्घति से इसका अध्ययन किया जाता है कि कहीं कोई गड़बड़ी तो नहीं हो रही है। गड़बड़ी करने वाले अस्पताल को ब्लैक लिस्ट करने के साथ उसके खिलाफ एफआईआर भी किया जाता है यानी फर्जीवाड़ा करने वाले अस्पताल के संचालक को जेल भेजने की पूरी व्यवस्था है। कई अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

प्रश्न- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के बारे में लोगों को सही-सही पता नहीं है कि वे इसके योग्य हैं या नहीं? उन्हें कैसे जानकारी मिलेगी? 
उत्तर- इस योजना के तहत प्रात्रता जानने के कई तरीके हैं। इंटरनेट, मोबाइल एप या फ्री हेल्पलाइन नंबर 14555 और 1800111565 पर फोन कर यह जान सकते हैं कि इसके ,तहत पंजीकरण कैसे होता है और कार्ड कैसे मिलता है। यह योजना जिनके लिए बनाई गई है, उनमें जागरूकता का अभाव है। लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। मीडिया के जरिए भी उन तक पहुंचा जा रहा है।

प्रश्न- अब तक कितने लोग पंजीकृत हुए हैं और कितनों को लाभ मिला है?
उत्तर- इस योजना के तहत अभी तक 3.26 करोड़ से भी ज्यादा लोग पंजीकृत हुए हैं। इनमें से 23.68 लाख लोगों को इसका लाभ मिला है। 15,000 से ज्यादा अस्पतालों को इससे जोड़ा जा चुका है। इनमें 50 फीसदी निजी क्षेत्र के अस्पताल हैं। दिल्ली स्थित एम्स और सफदरजंग जैसे सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल से लेकर निजी क्षेत्र के गंगाराम जैसे नामचीन अस्पताल भी इससे जुड़े हैं।

प्रश्न- ग्रामीण या दूरदराज के इलाकों में रहने वालों को यह नहीं पता कि मुफ्त में कहां-कहां उनका इलाज होगा?
उत्तर- पूरी कोशिश होती है कि लाभार्थी को पंजीकरण के वक्त ही पूरी जानकारी दे दी जाए। लेकिन लक्षित वर्ग में अधिकतर निरक्षर या कम पढ़े-लिखे लोग हैं। वे ऑनलाइन या मोबाइल एप के जरिए जानकारी पाने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे लोग आशा कार्यकर्ताओं के जरिए अस्पतालों की जानकारी ले सकते हैं। इस योजना से जुड़े अस्पतालों को निर्देश है कि वे अपने यहां बड़े-बड़े अक्षरों में प्रदर्शित करें कि यह अस्पताल प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से जुड़ा है और यहां कार्डधारकों का मुफ्त इलाज होता है। अब फैसला किया गया है कि ग्रामीण एव दूरदराज के इलाकों के लाभार्थियों को उनके नजदीकी या जिले के अस्पतालों की सूची उपलब्ध कराई जाए। इससे उन्हें अस्पताल चयन में आसानी होगी।

प्रश्न- लाभार्थी अपने जिले या राज्य में ही मुफ्त करा सकते हैं या दिल्ली में भी?
उत्तर- देखिए, इस योजना को ऐसे डिजाइन किया गया है कि इससे जुड़े लाभार्थी देश के किसी भी हिस्से में मुफ्त इलाज करा सकते हैं। इसमें पोर्टेबिलिटी की पूरी व्यवस्था है। अभी तक उत्तर प्रदेश के 3,368 लाभार्थी दूसरे राज्यों में अपना इलाज करा चुके हैं। इनमें से 1,318 ने उत्तराखंड और 903 ने दिल्ली स्थित एम्स और सफदरजंग अस्पताल में भी इलाज कराया है। कुछ मरीज हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, झारखंड, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, बिहार और जम्मू-कश्मीर में भी इलाज करा चुके हैं।

प्रश्न- अभी तक सबसे अधिक किन बीमारियों से पीड़ित मरीजों का इलाज हुआ? 
उत्तर- अभी तक सबसे ज्यादा कैंसर (मेडिकल ऑन्कोलॉजी) मरीजों का इलाज हुआ है। इनकी कीमो थेरेपी की गई। दूसरे नंबर पर हड्डी संबंधी बीमारियों से पीड़ित मरीजों का इलाज हुआ। इसमें उनके घुटने, कंधे और कूल्हे आदि तक बदले गए। तीसरे नंबर पर हृदय रोगियों और चौथे नंबर पर गुर्दे से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित मरीजों ने इलाज कराया। पांचवें नंबर पर कैंसर से पीड़ित उन मरीजों का इलाज हुआ, जिन्हें रेडिएशन थेरेपी की आवश्यकता पड़ी।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*