बुरे काम का बुरा नतीजा: शिक्षिकाओं ने किया ऐसा काम कि उनकी सेवा ही समाप्त हो गई!

यूपी के जिले लखीमपुर खीरी में कस्तूरबा विद्यालय में बीस छात्राओं को बंधन बनाने के मामले में आरोपित दोनों शिक्षिकाओं की सेवा समाप्त कर दी गई है। दोनों शिक्षिकाएं गोल्डी कटियार व मनोरमा मिश्रा चार सदस्यीय कमेटी की जांच में दोषी पाई गई है। दोनों पर बीएसए डॉ लक्ष्मीकांत पाण्डेय की संस्तुति के बाद डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने कार्रवाई की है। बता दें कि बीते 21 अप्रैल की रात कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय यानी केजीबीवी की करीब 20 छात्राओं को छत पर दरवाजे की कुंडी लगाकर बंधक बना लिया था। इस मामले के सामने आने के बाद दोनों ही शिक्षिकाओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था।

बंधक बने छात्राओं के रोने की आवाज सुनकर विद्यालय की वार्डन ललित कुमारी ने जिला समन्वयक, बालिका शिक्षा रेणु श्रीवास्तव को घटना के बारे में जानकारी दी। जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस और बीएसए ने बच्चियों को मुक्त कराया था। इसी मामले में जिला समन्वयक बालिका शिक्षा रेणु श्रीवास्तव की तहरीर पर नीमगांव थाने में कई धाराओं में मुकदमा भी दर्ज किया गया था। इस मामले के सामने आने के बाद जांच के लिए बीएसए ने कमेटी का गठन किया था। उसके बाद कमेटी ने विद्यालय की बंधक बनाई गई 20 बच्चियों, रसोइया और स्टाफ का बयान दर्ज किया।

इस मामले में दोनों शिक्षिकाओं के भी बयान दर्ज किए गए हैं। शिक्षिकाओं और बच्चियों के बयान में काफी अंतर मिलने पर कमेटी ने स्पष्ट तौर पर दोनों शिक्षिकाओं को इस पूरे मामले में दोषी माना है। गोल्डी कटियार व मनोरमा मिश्रा के खिलाफ दर्ज रिपोर्ट में कहा है कि शिक्षिकाओं ने ही छात्राओं को शोरगुल व रोकर विरोध जताने के लिए उकसाया था। यह सब स्थानांतरण रुकवाने के लिए शिक्षिकाओं ने छात्राओं को ढाल बनाया था। कमेटी के द्वारा की गई जांच को बीएसए ने एक दिन पहले ही डीएम को सौंप दिया था। जिसमें दोनों शिक्षिकाओं की सेवा समाप्त कर दी गई।

 

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