बैंक में जमा राशि पर खतरा, पासबुक पर लगी मोहर की फोटो सोशल मीडिया पर हो रही वायरल

बैंकों में जमा आपका पैसा कितना सुरक्षित है. ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि पंजाब व महाराष्ट्र के ऑपरेटिव बैंक के ग्राहक खुद का पैसा ही नहीं निकाल पा रहे हैं. आरबीआई ने बैंक पर पाबंदियां लगाई हैं, क्योंकि बैंक में फ्रॉड हुआ है. पहले आरबीआई ने कहा कि लोग 6 महीने में सिर्फ एक हजार रुपए ही निकाल पाएंगे. विरोध हुआ तो इसे बढ़ाकर 10 हजार फिर 25 हजार और अब 40 हजार कर दिया है. यानी लोग अपने खाते से 40 हजार रुपए निकाल सकते हैं. खुद का पैसा नहीं निकाल पाने की वजह से कई लोगों के आत्महत्या की खबरें भी सामने आ रही हैं.

इस बीच सोशल मीडिया पर एक बैंक की पासबुक फोटो वायरल हो रही है. बैंक का नाम है एचडीएफसी बैंक . आप लोगों में से कई लोगों का इस बैंक में सेविंग अकाउंट हो. इस पोस्ट में बैंक के पासबुक (Bank Passbook) पर एक मुहर लगी है. इसमें लिखा है, अगर बैंक किसी तरह के संकट में फंसता है तो जमाकर्ता को एक लाख रुपये ही मिलेंगे. बैंक में जमा पैसे का (DICGC )से इंश्योरेंस है. बैंक में किसी तरह का संकट आने पर (DICGC) बैंक खाताधारक को भुगतान करेगा. तस्वीर वायरल होने के बाद एचडीएफसी ने ट्विटर पर अपनी बात रखी. बैंक ने साफ किया कि यह स्टैंप 22 जून, 2017 के रिजर्व बैंक के सर्कुलर के तहत लगा रहा है. सर्कुलर नया नहीं है. आरबीआई के इस सर्कुलर के तहत सभी कमर्शियल बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक और पेमेंट बैंकों को यह जानकारी अपने ग्राहकों की पासबुक के पहले पेज पर देनी होगी.यानी ये सिर्फ एक बैंक का मामला नहीं है. कोई भी बैंक अगर डूबता है, खुद को दिवालिया घोषित करता है तो ऐसे में बैंकों में जमा लोगों का पैसा फंस जाएगा. अभी बैंक जमा राशि पर हर ग्राहक को एक लाख रुपये का इंश्योरेंस कवर देते हैं.

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इसका मतलब ये हुआ कि बैंकों के डूबने पर जमाकर्ता को इंश्योरेंस का एक लाख रुपए मिलता है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके खाते में कितने रुपए जमा हैं. लेकिन सरकार इस नियम में बदलाव करने जा रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र सरकार चाहती है कि बैंकों में कस्टमर की जमाराशि की गारंटी बढ़े. वित्त मंत्रालय में इस बारे में विचार-विमर्श शुरू हो चुका है. और जल्द ही इसका ऐलान हो सकता है. सरकार एक लाख रुपए की सीमा को बढ़ा कर दो से पांच लाख रुपए कर सकती है.बैंकों के घोटाले सामने आने के बाद लोगों का बैंकिंग सिस्टम से भरोसा उठता जा रहा है. पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक में जिस तरह से लोगों को खुद का पैसा निकालने से रोका गया. लोगों को इस बात पर सोचने के लिए मजबूर किया कि बैंकों में जमा उनका पैसा कितना सुरक्षित है. बैंक के कस्टमर्स तो परेशान हैं कि दूसरे बैंक के खाताधारक भी सोचने के लिए मजबूर हुए हैं कि भविष्य में अगर उनके साथ ऐसा हुआ तो वे क्या करेंगे. बैंक में जमाराशि की गारंटी बढ़ाने पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है. क्योंकि इससे बैंकिंग सिस्टम में लोगों का भरोसा बढ़ेगा. इससे बैंकों को भी फायदा मिलेगा. बैंकों के पास सेविंग बढ़ेगी. वे ज्यादा कर्ज दे सकेंगे.

एक और बात है. 2017 में एक बिल आया था. नाम था फाइनेंशियल रेजोल्युशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल (Financial resolution and deposit insurance bill) 2017. हालांकि आलोचना के बाद मोदी सरकार ने इस बिल को वापस ले लिया था. इसकी कई वजहें थीं. पहली ये कि सरकार अपनी उस जिम्मेदारी से खुद को अलग कर रही थी, जिसमें वह अब तक बैंकों की गारंटर थी. बिल में इस बात का प्रावधान था कि अगर बैंक डिफॉल्टर घोषित होते हैं तो उस हालात में लोगों के पैसे पर उनसे ज्यादा बैंक का अधिकार हो जाएगा. बिल के अनुसार बैंकों को इस बात का अधिकार मिलने वाला था कि जब तक उनकी आर्थिक स्थिति नहीं सुधर जाती वे लोगों का पैसे देने से मना कर सकते हैं. हालांकि पैसे के बदले बैंक पैसा जमा करने वाले को बॉन्ड, सिक्योरिटी या शेयर देता.इस बिल में बैंकों के लिए बेल इन का प्रस्ताव दिया गया था. यानी बैंक अपने नुकसान की भरपाई कर्जदारों और जमाकर्ताओं के धन से करते. इस बिल का बैंक यूनियनों और पीएसयू बीमा कंपनियों ने विरोध किया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार इस बिल को फिर से लाने जा रही है. लेकिन कुछ बदलवों के साथ. सरकार फाइनेंशियल रिजॉल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस (FRDRI) बिल को भी नए रूप में लाने का प्रयास कर सकती है. सरकारी बैंकों को यह अधिकार दिया जा सकता है कि डूबने या दिवालिया होने पर वे जमाकर्ताओं को गारंटी की रकम देने के बाद शेष राशि का कैसे इस्तेमाल करेंगे.हालांकि भारत में अभी तक ऐसी स्थिति नहीं आई कि बैंक डूबा हो. अगर किसी बैंक को कोई परेशानी होती है तो उस बैंक को किसी दूसरे बैंक में मर्ज कर दिया जाता है. इस तरह उसे नई जिंदगी मिल जाती है. ग्राहक सुरक्षित रहता है, क्योंकि ऐसे में नया बैंक ग्राहकों के पैसे की जिम्मेदारी ले लेता है.

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