राजस्थान के बाड़मेर में इंडियन एयरफोर्स का एक लड़ाकू विमान मिग-21 हादसे का शिकार हो गया। इस हादसे में दो पायलट शहीद हो गए हैं। लेकिन शहीद होने से पहले पायलटों ने जो किया वो उनके साहस को दिखाता है। विमान उड़ा रहे दोनों पायलटों को आग लगने की जानकारी मिलते ही उन्होंने लड़ाकू विमान को अपनी सूझबूझ और वीरता से आग लगने के बाद भी विमान को सुनसान इलाके की मोड़ दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हादसे से पहले विमान जिस गांव में उड़ रहा था वहां की आबादी करीब 2500 है।
दरअसल, हादसा बाड़मेर के भीमड़ा गांव से 2 किलोमीटर दूर ईशरामों का तला गांव के पास हुआ। गुरुवार रात करीब 9 बजे मिग 21 क्रैश हुआ था। फाइटर प्लेन उड़ान के दौरान ही आग लग गई थी। जैसे ही पायलटों ने आग देखी उन्होंने विमान की दिशा मोड़ दी थी। बताया जा रहा है कि मिग गिरने से धमाके की आवाज करीब 3 किलोमीटर तक सुनाई दी थी। हादसे के बाद मौके पर प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची और गांव को सील कर दिया है।
मिग-21 का मलबा 2 किलोमीटर दूर तक फैला। हादसा इतना भीषण था कि पूरे इलाके में धमाके के साथ आग की लपटें दिखाई दीं। पायलट की समझदारी से विमान को हादसे से पहले आबादी वाले इलाके से दूर पहुंचा दिया था।
बाडमेर के भीमड़ा गांव के नजदीक बीती रात हुए इस हादसे के बारे में सोचकर लोग अभी भी भयभीत है। भीमड़ा गांव के रहने वाले पुरखाराम ने बताया कि रात के समय खाने पीने के बाद बस सोने की तैयारी ही थी। घर के बाहर टहल रहे थे कि ऐसी आवाज आई जैसे नजदीक से ही किसी विमान ने उड़ान भरी हो। आसमान की ओर देखा तो पाया कि एक छोटा विमान आग का गोला बना हुआ है। हम लोग डर गए। पत्नी को आवाज लगाकर उसे दिखाने की कोशिश ही कर रहा था कि इसी दौरान तेज धमाका हो गया। विमान के टुकडे हो गए। वहां पहुंचे तो पता चला कि आधा किलोमीटर के क्षेत्र में टूटे टुकडे गिरे हुए हैं। आग लगी हुई है। दो लोग आग में जले रहे हैं। पता चला कि कुछ ही देर में दोनों की मौत हो गई। गांव में रहने वाली कल्याणी बाई ने कहा कि गांव में दो हजार से ज्यादा लोग हैं। अगर विमान गांव में गिरता तो सैकड़ों लोग मर जाते।
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