यूनिक समय ,मथुरा। राधारानी मंदिर में चेन्नई के एक ट्रस्ट द्वारा शनिवार को एक करोड़ की कीमत से स्वर्ण रजत निर्मित अष्टसखियों को राधारानी के संग विराजमान कराया। सेवायतों ने मंदिर में छप्पन भोग लगाकर शृंगार कर दर्शन शुरू कराए। इधर, रविवार को गोस्वामी समाज के कुछ लोगों ने विरोध किया तो अष्टसखियों को हटा दिया गया।
ट्रस्ट जय हनुमान के अध्यक्ष मुरलीधर स्वामी ने सुबह अपने सहयोगियों के संग राधारानी मंदिर में सेवायत दाऊ दयाल गोस्वामी को अष्टसखियों को सुपुर्द कर दिया। इसके बाद सेवायत ने गोस्वामी समाज को बुलाकर अष्टसखी समाज को सुपुर्द कर दीं। सेवायतों ने मंदिर के पट्ठा पर दर्ज कर सुबह आरती पर राधारानी के साथ दस सखियों को पीली पोशाक धारण कराकर छप्पन भोग के साथ भक्तों को दर्शन कराए।
उन्होंने बताया कि आठों सखियों ललिता, विशाखा, चित्रा, रंग देवी, सुदेवी, तुंग विद्या, इंदुलेखा, चम्पकलता सखियों को दक्षिण भारत के सेंगनोर में एक करोड़ की कीमत से तैयार कराया गया। राधारानी के सबसे पुराने मंदिर का भी जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। इधर रविवार को मंदिर में गोस्वामी समाज के रसिक मोहन गोस्वामी के साथ अन्य कुछ लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया।
रसिक मोहन ने आरोप लगाते हुए कहा कि अष्टसखियों की मूर्ति के विराजमान होने से मंदिर की मर्यादा टूट रही है। इसके बाद सेवायत ने मंदिर में विराजमान की गई अष्टसखियों को हटा दिया। जिसके चलते ट्रस्ट के पदाधिकारी मायूस हो गए। उमाशंकर गोस्वामी ने बताया कि महीनों पहले गोस्वामी समाज से अष्टसखियों को विराजमान करने की स्वीकृति लिखित में ली गई थी। मंदिर के रिसीवर प्रवीन गोस्वामी का कहना है कि यह मंदिर के सेवायत का अधिकार है कि वह इन्हें लगवाए या नहीं।
Leave a Reply