इस वजह से नीतीश ने खारिज की प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश के उन गिने चुने नेताओं में से एक हैं जो पहले दिन से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का हर फ़ोरम में विरोध कर रहे हैं। मंगलवार को बिहार सरकार ने विधिवत रूप से इस बीमा योजना को ख़ारिज करते हुए एक नई बिहार राज्य फ़सल सहायता योजना को मंज़ूरी दी।
गौरतलब है कि नीतीश के विरोध का मुख्य आधार यही रहा है कि वर्तमान स्वरूप में केंद्र की योजना का मुख्य लाभ किसानों से ज़्यादा बीमा कम्पनियों को होता है। केंद्र की योजना में जहां राज्य और केंद्र को 49-49 प्रतिशत राशि का वहन करना होती है वहीं बाकी की दो प्रतिशत राशि किसानों से ली जाती है। लेकिन बिहार सरकार की नई योजना में किसानों को एक भी पैसा प्रीमियम के नाम पर नहीं देना होगा।
आपको बता दें कि बिहार सरकार की नई योजना इस वर्ष की ख़रीफ फसल के सीजन से जमीनी तौर पर लागू हो कर दी जाएगी। इसके तहत वास्तविक उपज में 20 प्रतिशत तक की कमी होने पर प्रति हेक्टेयर 7500 रुपये की राशि दी जाएगी। इसके अलावा दो हेक्टेयर तक पंद्रह हज़ार रुपये तक दिए जाएंगे।
इसके अलावा वास्तविक उपज में बीस प्रतिशत से अधिक कमी आने पर दस हज़ार रुपये प्रति हेक्टेयर और अधिकतम बीस हज़ार तक दिए जाएंगे। कैबिनेट की बैठक के बाद बताया गया कि इससे पूर्व 2016 में जहां बिहार ने 495 करोड़ का प्रीमियम दिया वहीं राज्य के किसानों को मात्र 221 करोड़ की राशि दी गई।

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