मथुरा। लाइलाज बीमारी के अंतिम क्षण में अपने अंदर घृणित भावना पाल चुके मरीजों के लिए स्वर्ग साबित हो रहा है वृन्दावन परिक्रमा मार्ग में बना भक्ति वेदांत हॉस्पिटल। यहां उन मरीजों को रखा जाता है जो कि कैंसर, एचआईबी जैसी गम्भीर बीमारी के अंतिम दौर में पहुँच चुके होते हैं। ऐसे मरीजों को इस हॉस्पिटल के जनरल वार्ड में नि:शुल्क रखा जाता है। जहां उनको मेडिकल फैसेलिटी के अलावा आध्यात्मिक माहौल दिया जाता है। यहां विभिन्न धर्मों के धर्म गुरु आ कर मरीजों को आध्यात्मिक वातावरण में ढालने की कोशिश करते हैं और उनके अंदर से मृत्यु का भय निकालने की कोशिश करते हैं।
इस हॉस्पिटल की सबसे खास बात है कि यहां की डेथ केयर के दौरान धर्म गुरु मरीज को धर्म के अनुसार उसको केयर देते हैं। . जैसे हिन्दू धर्म के मरीज को गंगा जल, तुलसी और गीता का 18 वाँ अध्याय पढ़ कर सुनाया जाता है इसी तरह मुस्लिम धर्म के मरीज को कुरान की आयात और आवेद जमजम का जल दिया जाता है। कुछ इसी तरह ईसाई व सिख धर्म के मरीज को केयर दी जाती है। इस हॉस्पिटल में इलाज कराने आईं 70 वर्षीय वृद्धा सुनीता ठाकुर को 3 साल पहले जब कैंसर के बारे में पता चला तो वह यहां इलाज के लिए आईं लेकिन बाद में उनको एडमिट होना पड़ा। अब सुनीता यहां आ कर बेहद खुश हैं और वह यहां मिल रहे आध्यात्मिक माहौल को देखकर कहती हैं कि लगता है उनको यहां घर जैसा माहौल मिल रहा है। वहीं नीदरलैण्ड से इलाज कराने आये विदेशी भक्त मेरजीनियस जेकोबस भी यहां की केयरिंग से काफी प्रभावित हैं। 2010 में बने इस हॉस्पिटल को बनाने की प्रेरणा विदेशी भक्त अर्चा विग्रह दासी ने दी। अर्चा विग्रह दासी खुद केंसर से पीड़ित थी लेकिन उनको अंतिम समय में जब इस तरह की हॉस्पिटल नहीं मिली। उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा अपने गुरु गिरिराज महाराज को बताई।
जिसके बाद उनके गुरु ने इस इक्षा को पूरा करते हुए इस हॉस्पिटल का निर्माण कराया। यहां चिकित्सा, खाना और आध्यात्मिक वातावरण नि:शुल्क दिया जाता है।
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