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नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने करीबी सहयोगियों पर हुई इनकम टैक्स रेड के बाद जिस तेजी से शिवराज सरकार में हुए कथित घोटालों की फाइलें खंगाल रहे हैं, वो संकेत है कि मध्य प्रदेश में चुनावी गरमी का पारा अब घोटालों और ज़मानतों के खेल से चढ़ने वाला है. अभी तक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, रॉबर्ट वाड्रा, पी चिंदबरम जैसे नेताओं को जमानती बताकर चुनावी पोस्टर सजा रही भाजपा पर अटैक करने के लिए कांग्रेस ने भी काउंटर अटैक की तैयारी कर ली है. सरकारी एजेंसियों ने जांच के लिए मैदान पकड़ लिया है. घोटालों के नाम पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत कई मंत्री अफसर निशाने पर आ गए हैं.
सोए हुए शेर को जगाया है
एक पखवाड़े बाद मध्य प्रदेश में वोटिंग का दौर शुरू होने वाला है. ऐसा दिखाई दे रहा है कि चुनाव अब भ्रष्टाचार और घोटालों के इर्द-गिर्द जमने लगा है. पुलवामा, बालाकोट, न्याय योजना जैसे मुद्दे पिछली बेंच पर हैं. सबसे आगे मुख्यमंत्री के करीबियों पर की गई आईटी रेड है, जिसने भाजपा को पूरा चुनावी मसाला दे दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी चुनावी रैलियों में मध्य प्रदेश को कांग्रेस का एटीएम बता रहे हैं. इस पूरी घटना ने कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को बुरी तरह तिलमिला दिया है. अपने विरोधियों के खिलाफ सुस्त चल रहे मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दहाड़ लगाते हुए कहा कि अब सोए हुए शेर को जगा दिया गया है. इसका असर यह है कि शिवराज सरकार में हुए घोटालों की फाइलें खुल गई हैं. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह समेत कई नेता और पूर्व मंत्री अफसर निशाने पर आ गए हैं.
भ्रष्टाचार के मामले खोलने का दावा
कांग्रेस और भाजपा में एक दूसरे को भ्रष्ट बताने की होड़ लग गई है. कमलनाथ सरकार के कई मंत्रालय हरकत में आ गए हैं. आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने मैदान पकड़ लिया है. पूरी चुनावी राजनीति जनता के बुनियादी मुद्दों से हटकर एक दूसरे को आरोपी और अपराधी साबित करने की ओर जाती दिखाई दे रही है. कांग्रेसियों का आरोप है कि शिवराज कार्यकाल में हुआ 3 हजार रुपए का ई-टेंडर घोटाला सबसे ऊपर है. इसमें शिवराज सरकार के छह से ज्यादा विभाग घेरे में हैं. उन्हें ई-टेंडरिंग से काम आवंटित होता था. इसी तरह माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में हुई गड़बड़ी, पोषण आहार जैसे मामले सुर्खियों में आ गए हैं.
बेरोज़गारी के मुद्दे को हवा देंगे
प्रदेश के 5.50 करोड़ वोटर्स, उनके बुनियादी मुद्दे अभी हवा से ओझल हैं. बेरोज़गारी, गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों का जीवन स्तर, किसानों की बदहाली और प्रदेश का विकास चुनावी भाषणों का खास मुद्दा नहीं बन पा रहा है. प्रदेश की 29 सीटों पर भाजपा अपनी ज़मीन बचाने के लिए ताकत झोंक रही है. 2014 में 27 सीटें हासिल कर बीजेपी ने कांग्रेस को ज़बर्दस्त झटका दिया था. उपचुनाव के बाद 3 सीटों पर पहुंची कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी कर अपनी ताकत 14 सीटों तक बढ़ायी है.
शिवराज सरकार को भ्रष्ट साबित करने का दावा
कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा का कहना है कि चुनाव अगर भ्रष्टाचार के मद्दे पर लड़े जा रहे हैं तो हम साबित कर देंगे कि शिवराज से बड़ा भ्रष्ट कार्यकाल किसी का नहीं रहा. मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी और सहयोगी के यहां छापे डाले गए लेकिन कुछ भी हासिल नहीं हुआ. अश्विन शर्मा जिसके यहां से बरामदगी बताई जा रही है वो भी भाजपा का करीबी कार्यकर्ता है. ऐसा वो खुद कह रहा है. शिवराज सिंह के कार्यकाल के ई-टेंडर घोटाले, समेत कई घोटाले सामने आने वाले हैं. जिनमें कई अफसर मंत्री शामिल हैं.
ट्रांसफर इंडस्ट्री खोलने का कांग्रेस पर आरोप
भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता गोविंद मालू का कहना है कि आईटी रेड ने साबित कर दिया है कि कमलनाथ सरकार मध्यप्रदेश को एटीएम बनाकर चल रही थी. पिछले सौ दिन के कार्यकाल में जो हुआ है वह किसी से छिपा हुआ नहीं है. ट्रांसफर इंडस्ट्री खोल दी थी. मनमाने तरीके से ठेकेदारों को धमकाया जा रहा था. शिवराज सरकार में ई-टेंडर घोटाले के नाम पर जो जांच की जा रही है. उसमे पैसे का लेन-देन हुआ नहीं है. यह काउंटर अटैक अपनी भ्रष्ट छवि से उबरने के लिए हो रहा है.
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