लखनऊ. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह मकर संक्रांति के बाद पार्टी के निर्वाचित अध्यक्ष हो जाएंगे। उनके निर्वाचन की प्रक्रिया 16 जनवरी से 18 जनवरी के बीच पूरी होने की संभावना है। चुनाव के लिए भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री भूपेंद्र यादव और बिहार सरकार में मंत्री मंगल पांडेय को पर्यवेक्षक नियुक्त किया जा चुका है। पहले चुनाव की औपचारिकता दिसंबर के दूसरे सप्ताह में ही पूरी हो जानी थी, लेकिन कुछ कारणों से चुनाव प्रक्रिया टल गई।
छह महीने के अंदर निर्वाचन जरूरी
दरअसल भाजपा के संविधान के मुताबिक मनोनीत अध्यक्ष को 6 महीने के अंदर निर्वाचित होना जरूरी होता है। तभी उसे संविधान के मुताबिक विधिवत अध्यक्ष का दर्जा मिलता है। निर्वाचन तभी कराया जा सकता है जब जिला और महानगर इकाईयों में 50 फीसदी से ज्यादा के अध्यक्षों का चुनाव हो चुका हो। प्रदेश में भाजपा के सांगठनिक जिले 98 हैं। इनमें 87 जिलों और महानगरों के अध्यक्षों की घोषणा की जा चुकी है। हालांकि ऐसी स्थिति में अमूमन कोई दूसरा नामांकन नहीं करता है। जिससे प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से हो जाए। लेकिन अगर कोई नामांकन कर ही दे तो फिर चुनाव कराना ही होता है।
नहीं होगा चुनाव
हालांकि बीजेपी के मनोनीत उत्तर प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव के मामले में चुनाव की संभावना न के बराबर ही है। लेकिन प्रांतीय परिषद के सदस्यों को बुलाया जरूर जाएगा। क्योंकि चुनाव न होने पर भी उनकी तरफ से चुनाव प्रक्रिया की औपचारिकता पूरी करनी होगी। दरअसल पार्टी संविधान में राज्य की विधानसभाओं की सदस्य संख्या के अनुसार प्रांतीय परिषद के सदस्य निर्वाचित किए जाते हैं। इसी तरह लोकसभा सीटों की संख्या के अनुसार राष्ट्रीय परिषद के सदस्य निर्वाचित होते हैं। प्रदेश में प्रांतीय परिषद के 403 (विधायक) और राष्ट्रीय परिषद के 80 सदस्य (सांसद) हैं। इस महीने निर्वाचित होने पर स्वतंत्र देव सिंह का भाजपा अध्यक्ष के तौर पर कार्यकाल जनवरी 2023 तक का होगा। बशर्ते बीच में उन्हें पार्टी की तरफ से कोई और जिम्मेदारी न मिल जाए।
Leave a Reply