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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर देश की संसद में पारित नारी शक्ति वंदन विधेयक अब अधिनियम बन गया है। इस पर राष्ट्रपति की स्वीकृति की जो कमी थी, शुक्रवार को वो कमी पूरी हो गई है। अब से लाेकसभा और देश के विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं या विधानपरिषदों में 100 में से 33 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे।
अब महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण
बताते चलें कि लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करने के उद्देश्य से 2010 में कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली यूनियन प्रोग्रेसिव एलायंस (UPA) सरकार के दौरान महिला आरक्षण विधेयक को राज्यसभा ने पारित कर दिया, लेकिन बाद में निचले सदन यानि लोकसभा में यह रद्द हो गया। अब पिछले सप्ताह 20 सितंबर को संसद के विशेष सत्र के दौरान लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक प्रस्तुत किया गया। यहां पक्ष में 454 और विपक्ष में सिर्फ दो वोट पड़ने के बाद अगले दिन गुरुवार को इसे राज्यसभा में भी इसे उच्च सदन ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। इसमें सभी 215 सदस्यों ने सर्वसम्मति से समर्थन में मतदान किया।
संसद में विधेयक के पारित होने के बाद पीटी उषा, केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी और स्मृति ईरानी समेत संसद के दोनों सदनों की महिला सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुलदस्ता भेंट करके धन्यवाद कहा। प्रधानमंत्री ने भी इसे देश की लोकतांत्रिक यात्रा में एक निर्णायक क्षण बताते हुए 140 करोड़ भारतीयों को बधाई दी थी। हालांकि दोनों सदनों में बहुमत से पारित यह विधेयक तब एक अधिनियम (कानून) की भूमिका में नहीं आ सकता था। शुक्रवार को यह बाधा भी दूर हो गई।
उधर, बड़ी बात यह है कि ‘नारी शक्ति वंदन’ अधिनियम के अस्तित्व में आ जाने के बाद देश की संसद के निचले सदन में और विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं या विधानपरिषदों में क्या बदलाव देखने को मिलेगा। उल्लेखनीय है कि लोकसभा में इस वक्त कुल 543 में से केवल 82 महिला सदस्य ही हैं, वही अब नए प्रावधान के बाद यह संख्या बढ़कर 181 हो जाएगी।
इसी तरह नए अधिनियम के अनुच्छेद-239AA के तहत तमाम राज्यों की विधानसभाओं में भी 33 फीसदी सदस्यता महिलाओं के लिए आरक्षित रहेगी।
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