नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून पर मचे बवाल के बीच असम के पूर्व मुख्यमंत्री और असोम गण परिषद (एजीपी) चीफ ने कहा है कि उनकी पार्टी ने इस बिल पर समर्थन करके गलती कर दी. एजीपी चीफ ने बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने का भी इशारा दिया है. सोमवार को एजीपी के चीफ प्रफुल्ल कुमार महंत ने कहा कि जब लोकसभा और राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश हुई तो हमारी पार्टी ने समर्थन किया. यह गलत हुआ. हमारे पार्टी के कुछ नेता इस कानून के समर्थन में थे. लेकिन हम लोग साल 2015 से इस बिल के खिलाफ है.
इसके साथ ही प्रफुल्ल कुमार महंत ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो असम में बीजेपी सरकार से समर्थन वापस ले सकते हैं. एजीपी अपने 12 विधायकों के साथ समर्थन वापस ले सकती है. बता दें कि असम सरकार में एजीपी के तीन मंत्री हैं. इसके साथ ही एजीपी चीफ ने कहा कि असम में इस कानून का विरोध हो रहा है. हम सीएए (CAA) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे इसके साथ ही उन लोगों के साथ भी खड़े हैं जो इस कानून के खिलाफ कोर्ट में गए हैं. प्रफुल्ल कुमार महंत ने आगे कहा कि असम सरकार को जो स्थिति पैदा हुई है उसे दूर करना चाहिए. लोगों की आवाज गोलियों से नहीं बंद की जा सकती है. इंटरनेट सेवा बंद करना समस्या का हल नहीं है.
उन्होंने आगे कहा, ‘भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. संविधान और कानून से ऊपर कोई नहीं है. जब संविधान को स्वीकार किया गया था तब कहा गया था कि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है. इसे बदला नहीं जा सकता है.’ उन्होंने फिर से दोहराया कि हम नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन नहीं करने जा रहे हैं. यह असम समझौते का उल्लंघन करेगा और असम के स्वदेशी लोगों को यहां अल्पसंख्यक बना देगा.
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