
यूनिक समय, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा ने एक विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने पीड़ितों की प्रतिक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर पर्यटक हमलावरों का सामना करते, तो जानें बचाई जा सकती थीं।
एक कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए रामचंद्र जांगड़ा ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी देशवासियों को जो आत्मरक्षा और साहस की प्रेरणा देना चाहते हैं, अगर वही प्रशिक्षण उन पर्यटकों के पास होता, तो तीन आतंकवादी 26 लोगों की जान नहीं ले सकते थे। अगर पर्यटक एकजुट होकर लाठी-डंडों से पलटवार करते, तो नुकसान कम होता और हमलावर भी मारे जा सकते थे।”
उन्होंने आगे कहा कि आतंकवादियों के आगे हाथ जोड़ने से जान नहीं बचाई जा सकती। “जो लोग मारने के इरादे से आए हों, उनके सामने दया की उम्मीद नहीं की जा सकती,”।
सबसे विवादास्पद टिप्पणी तब आई जब जांगड़ा ने उन महिलाओं पर टिप्पणी की जिनके पति हमले में मारे गए। उन्होंने कहा, “जिन महिलाओं के पति इस हमले में मारे गए, अगर उनमें रानी अहिल्याबाई जैसी वीरता का भाव होता, तो वे भी संघर्ष करतीं। उनके अंदर न तो वीरांगनाओं जैसा जोश था और न ही आत्मबल।”
सांसद का कहना था कि 2014 के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में ऐतिहासिक वीरगाथाओं को जीवित रखने की परंपरा शुरू की, ताकि देश की हर महिला में रानी अहिल्याबाई होल्कर जैसा साहस पैदा हो।
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बैसरन वैली में घूमने गए 26 पर्यटकों की आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस हृदयविदारक घटना के बाद अब सांसद जांगड़ा के बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया है।
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