सुनील दत्त को बेटे संजय दत्त के कारण गिरवी रखना पड़ा था अपना घर!

नई दिल्ली। संजय दत्त और सुनील दत्त के बीच कितना गहरा और प्यारा रिश्ता था, इस बात की गवाही कई लोग देते हैं और हाल ही में रिलीज़ हुई संजय दत्त की बायोपिक ‘संजू’ में इस रिश्ते को और गहराई से दिखाया गया है. लेकिन संजय दत्त के पहले फ़िल्म अपीरियेंस के समय की एक याद को संजय शायद कभी याद न करना चाहें. दरअसल ये बात है फिल्म रेशमा और शेरा की शूटिंग की. साल 1971 में रिलीज़ हुई ये फ़िल्म सुनील दत्त की महत्वकांक्षी फिल्मों में से एक थी।

इस फिल्म को जब सुनील दत्त ने बनाने का फैसला किया था तो इसे जल्द से जल्द पूरा करने की बात हुई थी. फिल्म के निर्देशन की बागडोर एस सुखदेव को दी गई थी. फिल्म से कई दिलचस्प ट्रिविया भी जुड़े हैं जैसे अमिताभ और विनोद खन्ना की एकसाथ ये पहली फ़िल्म थी और इस फ़िल्म के बाद दोनों ने कई सुपरहिट फ़िल्मों में काम किया. इस फ़िल्म में अभिनेता गोपाल बेदी का नाम बदलकर रंजीत कर दिया गया और फिर रंजीत बॉलीवुड के सबसे बड़े विलेन्स में से एक हुए. यही पहली फिल्म थी जब राखी और वहीदा रहमान ने एकसाथ काम किया. लेकिन इतने सारे दिलचस्प तथ्यों के बाद भी इस फिल्म का हश्र बहुत बुरा हुआ और दत्त परिवार इस फिल्म से मुसीबतों में आ गया.

दरअसल फिल्म की कास्ट को राजस्थान में रखने और इस फिल्म के कॉस्टयूम और सेट्स पर सुनील दत्त का काफी खर्चा हो रहा था. फिल्म के मुख्य कलाकारों जैसे सुनील दत्त, वहीदा रहमान, विनोद खन्ना और उस समय के न्यूकमर अमिताभ बच्चन को पोचीना नाम के छोटे से गाँव में कच्चे मकानों और टेंट्स में रहना पड़ा था.

इसी फिल्म के दौरान संजय दत्त, जो उस समय 12 साल के थे, अपने बोर्डिंग स्कूल सनावर से छुट्टियों पर आए थे. संजय अपने पिता से मिलने इस फिल्म के सेट पर भी आए और उस समय एक कव्वाली की शूटिंग चल रही थी. सुनील दत्त ने बेटे संजय को पहला ब्रेक देने का मन बना लिया था और उन्होंने इस कव्वाली में संजू को भी बिठा दिया. इसके साथ ही इस फिल्म से एक और दिलचस्प ट्रिविया जुड़ गया क्योंकि संजय दत्त की ये पहली अपीरियेंस थी. लेकिन इसके बाद जैसे इस फिल्म को ग्रहण लग गया. सुनील दत्त ने फिल्म के कुछ रशेज़ देखे और उन्हें फिल्म बिल्कुल पसंद नहीं आई. निर्देशक सुखदेव से उनके कुछ बातों पर मतभेद हो गए जिनमें से एक रंजीत का फिल्म में होना भी माना जाता है. सुनील दत्त ने फिल्म की कमान अपने हाथ में ले ली और फिल्म को दोबारा से शूट किया गया.

इस री-शूट से फिल्म की लागत 100 गुना बढ़ गई. फिल्म को रिलीज़ के बाद समीक्षकों की जबर्दस्त सराहना मिली और कई लोगों ने इसे अपने समय से आगे की फिल्म घोषित किया लेकिन दर्शकों ने फिल्म को नकार दिया. दत्त परिवार को गहरा आर्थिक झटका लगा. सुनील दत्त के एक इंटरव्यू के अनुसार उन्हें 60 लाख का नुकसान हुआ था. इस फिल्म के संगीत को सराहना मिली थी और संगीतकार जयदेव को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था जिसके लिए उन्होंने संजय को अपना लकी चार्म माना था, लेकिन पिता सुनील दत्त के लिए ये फिल्म करियर का सबसे बड़ा घाटा बन कर आई थी.

सुनील दत्त के अनुसार, “मेरे पास तीन बच्चे और पत्नी की जिम्मेदारी थी. हमारी सात गाड़ियों में से छह को बेचना पड़ा. हमारे घर को गिरवी रखना पड़ा और फिर मैंने काम के लिए बस से जाना शुरु किया. यही वो समय था जिसने मुझे फिर से ज़मीन पर ला दिया था.”

हालांकि कुछ समय बाद नरगिस के डबिंग थिएटर का काम अच्छा चल पड़ा और सुनील दत्त को भी कुछ सुपरहिट फिल्में जैसे हीरा, गीता मेरा नाम, प्राण जाए पर वचन न जाए और नहले पे दहला मिली. लेकिन रेशमा और शेरा जहां संजय दत्त के डेब्यू और कई महान कलाकारों के करियर की शुरुआती फिल्म के रुप में जानी जाती है वहीं सुनील दत्त के लिए वो फिल्म किसी कड़वी याद से कम नहीं रही.

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