समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के सामने वोटों का बिखराव रोकने की चुनौती होगी। बसपा भी सपा-कांग्रेस गठबंधन का खेल बिगाड़ सकती है। भाजपा की चुनौती भी यही रहेगी कि वह पिछले दो चुनावों की तरह इस बार भी अन्य दलों के वोटबैंक में सेंध लगाए।
लोकसभा चुनाव का एलान होते ही सियासी दलों में समीकरणों को साधने का खेल शुरु हो गया है। इलाहाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा गठबंधन का मुकाबला सपा-कांग्रेस गठबंधन से होगा। वहीं, बसपा की सियासी चाल भी चुनाव की दिशा-दशा को काफी हद तक तय करेगा।
बसपा अकेले ही चुनाव लड़ने जा रही है। इससे सपा-कांग्रेस के सामने अपने वोटों का बिखराव रोकने की चुनौती होगी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी ने 55.62 फीसदी मत हासिल कर चुनाव जीता था।
दूसरे स्थान पर सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी राजेंद्र सिंह पटेल थे, जिन्होंने 34.89 फीसदी वोट बटोरे थे। वहीं, कांग्रेस के योगेश शुक्ला को महज 3.59 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे। जबकि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के परिणाम की बात करें तो भाजपा के प्रत्याशी श्यामाचरण गुप्ता ने 35.19 प्रतिशत वोट पाकर चुनाव जीता था।
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