
यूनिक समय, नई दिल्ली। लखनऊ की एडीजे कोर्ट ने 22 साल पुराने डबल मर्डर केस में कुख्यात सीरियल किलर राम निरंजन उर्फ राजा कोलंदर को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है। उसके साथी वक्षराज को भी आजीवन कारावास की सज़ा मिली है। राजा कोलंदर पर 20 से अधिक हत्याओं का आरोप था, हालांकि अधिकांश मामलों में वह सबूतों के अभाव में बरी हो चुका है।
राजा कोलंदर को जब गिरफ्तार किया गया था, तब प्रयागराज स्थित उसके पिगरी फार्म हाउस से बड़ी संख्या में नरकंकाल और नरमुंड बरामद हुए थे। उस पर आरोप है कि वह तांत्रिक था और खोपड़ी का सूप बनाकर पीता था। कथित तौर पर, वह लोगों का अपहरण कर उनकी हत्या करता था, फिर शवों के टुकड़े कर अलग-अलग स्थानों पर फेंक देता था। हालांकि, वह सिर को अपने साथ ले जाता था, दिमाग निकालकर उसका सूप बनाता था और पीता था।
यह मामला भारत के सबसे जघन्य आपराधिक मामलों में से एक माना जाता है, जिसमें कोलंदर पर पीड़ितों को निशाना बनाने और कथित तौर पर उनके दिमाग खाने का आरोप था।
अदालत ने सोमवार को राजा कोलंदर और वक्षराज को 2000 में नाका इलाके में हुए 22 वर्षीय मनोज कुमार सिंह और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव के अपहरण और हत्या में दोषी पाया था। शुक्रवार को उसे सज़ा सुनाई गई।
सरकारी वकील एमके सिंह के अनुसार, अदालत ने राजा कोलंदर और उसके सहयोगी को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं, जिनमें धारा 364 (हत्या के इरादे से अपहरण), 396 (हत्या के साथ डकैती), 201 (सबूतों को गायब करना), 412 (डकैती से प्राप्त संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना) और 404 (मृत व्यक्ति की संपत्ति का दुरुपयोग) शामिल हैं, के तहत दोषी ठहराया।
कोलंदर को पत्रकार धीरेंद्र सिंह सहित कई हत्याओं का दोषी ठहराया गया था। पुलिस द्वारा उसके फार्महाउस से मानव खोपड़ी बरामद किए जाने से नरभक्षण के भयावह आरोप सामने आए थे। मनोचिकित्सकों ने उसे मनोरोगी बताया था, हालांकि अदालतों ने उसे मुकदमे का सामना करने के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ घोषित किया था।
राजा कोलंदर और उसके साले वक्षराज को नवंबर 2012 में पत्रकार धीरेंद्र सिंह की निर्मम हत्या के लिए पहली बार दोषी ठहराया गया था। पीड़ित को बहला-फुसलाकर ले जाया गया, गोली मारकर हत्या कर दी गई और फिर शव को विकृत कर दफना दिया गया था।
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