नई दिल्ली। मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव के माफीनामे को अस्वीकार करते हुए कोर्ट की अवमानना का दोषी माना है। कोर्ट ने नागेश्वर राव पर 1 लाख रूपए का जुर्माना लगाया है और आज कोर्ट की करवाई खत्म होने तक कोर्ट में ही रहने का आदेश दिया है। CJI रंजन गोगोई ने नागेश्वर राव से पूछा कि आपको कुछ कहना है, हम आपको 30 दिन की जेल की सजा सुनाने वाले हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले की सीबीआई जांच में SC की अनुमति के बिना जांच टीम में शामिल किसी भी अधिकारी का ट्रांसफर नहीं किया जाएगा। इसके बाद भी नागेश्वर राव ने जांच टीम के चीफ सीबीआई अधिकारी एके शर्मा का 17 जनवरी को सीबीआई से CRPF में तबादला कर दिया था। इसके बाद सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव ने बिना शर्त सुप्रीम कोर्ट से माफी मांग ली थी। उन्होंने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में बिना शर्त माफीनामा दाखिल कर दिया था।सुनवाई के वक्त अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि राव अपनी गलती स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने यह जानबूझकर नहीं किया था और सब अनजाने में हो गया। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि अवमानना के आरोपी का बचाव सरकार के पैसे से क्यों किया जा रहा है।केके वेणुगोपाल की दलील पर चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताई और कहा कि राव को सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश का पता था तभी उन्होंने कानूनी विभाग से राय मांगी और लीगल एडवाइजर ने कहा था कि एके शर्मा का ट्रांसफर करने से पहले सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर इजाजत मांगी जाए लेकिन ऐसा क्यों नहीं किया गया? इसपर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि राव ने गलती स्वीकारी है उन्होंने माफी मांगी है। इसपर सीजेआई ने कहा कि संतुष्ट हुए बगैर और कोर्ट से पूछे बगैर अधिकारी का रिलीव आर्डर साइन करना अवमानना नहीं तो क्या है?सुनवाई में सीजेआई ने आगे कहा कि नागेश्वर राव ने आर के शर्मा को जांच से हटाने का फैसला लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट को बताने की जरूरत तक नहीं समझी। और उनका रवैया रहा है कि मुझे जो करना था कर दिया। इसपर के के वेणुगोपाल ने चीफ जस्टिस से कहा, ‘माई लार्ड, प्लीज इनको ( नागेश्वर राव ) माफ कर दीजिए।’ इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि वो नागेश्वर राव की माफी को नहीं स्वीकार कर रहे। और उन्हें अवमानना का दोषी करार देने वाले हैं।
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