श्रीश्री राधा वृन्दावन चंद्र का पंचगव्य दूध, दही, घी, शहद, मिश्री फलों के रस से हुआ महाभिषेक
वृंदावन। गौड़िया वैष्णव सम्प्रदाय में ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली त्रयोदशी को पनहाटी चिड़ा दही महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसी क्रम में स्वामी भक्ति वेदांत मार्ग स्थित श्रीश्री राधा वृन्दावन चंद्रोदय मंदिर में सोमवार को पानीहटी चिड़ा दही महामहोत्सव हर्षांल्लास के साथ मनाया गया। आज के इस पावन अवसर पर प्रातः कालीन बेला में मंगला आरती के साथ ही महामहोत्सव का शंखनाद किया गया। इसके बाद भगवान श्रीश्री राधा वृन्दावन चंद्र की धूप आरती, नवीन पोषाक धारण एवं फूल बंगला का आयोजन किया गया।
आज के इस पावन पर्व पर ठाकुर राधावृन्दावन चंद्र का महाभिषेक वैदिक मंत्रोच्चारण, पंचगव्य दूध, दही, घी , शहद, मिश्री एवं विभिन्न प्रकार के फलों के रस, विभिन्न जडी बूटियों एवं फूलों से महाभिषेक प्रक्रिया को संपन्न किया गया। इस मौके पर ठाकुर राधावृन्दावन चंद्र को नीले एवं नारंगी रंग के रेशम एवं चांदी से कढ़ाई किए हुए वस्त्र धारण कराए गए। इस दौरान निताई गौरांग को भी बहुत आकर्षक वस्त्र एवं विशेष रूप से तैयार की गई पुष्पों की माला से सजाया गया।
इस दौरान भक्तों को सम्बोधित करते हुए वृन्दावन चंद्रोदय मंदिर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुव्यक्ता नरसिम्हा दास ने बताया कि चैतन्य महाप्रभु के संकीर्तन आंदोलन के दौरान नित्यानंद महाप्रभु सहित कई अन्य भगवान के शाश्वत सहयोगी मिशन में शामिल होने के लिए प्रकट हुए, उनमें से रघुनाथ दास एक थे। श्रीला रघुनाथ दास गोस्वामी एक उच्च कोटी के भक्त थे। उन्होंने बहुत छोटी सी अवस्था में भौतिक संसार से त्याग व अलगाव की भावना चैतन्य महाप्रभु के समक्ष व्यक्त की। महाप्रभु ने उन्हें ऐसा करने से मना किया, कहा कि कृष्ण जल्द ही उन्हें माया के झुंड से बचाने के लिए आएंगे। दो साल बाद नित्यानंद महाप्रभु पनहाती आए, वहां रहे। श्रीकृष्णपुरा के पास गॉव में रहने वाले रघुनाथ दास अपने पिता गोवर्धन मजूमदार से अनुमति लेकर पनहाटी नित्यानंद महाप्रभु से मिलने पहुंचे। वहां उन्होंने नित्यानंद महाप्रभु को बरगद के वृक्ष के नीचे एक चट्टान पर बैठे देखा। वहां कई भक्तों से घिरे हुए थे। रघुनाथ दास भगवान से संपर्क करने में संकोच कर रहे थे और दूरी से पूजा करते थे। नित्यानंद प्रभु ने उन्हें अपने पास बुलाया और कहा रघुनाथ दास तुम चोरों की तरह छुप रहे हो पास आओं में तुम्हे सजा दूंगा। उन्होंने रघुनाथ दास को बड़ा त्यौहार बनाने व सभी भक्तों की सेवा करने का आदेश दिया। चिडा दही महोत्सव तब से हर साल इस अद्भुत दिन की याद में ही मनाया जाता है।इस दौरान आगरा, दिल्ली सहित अन्य जगहों से से आए हुए भक्तों ने ठाकुर श्रीश्री राधा वृन्दावन चंद्र का दर्शन कर प्रसाद प्राप्त किया।
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