मुस्लिम घरों में बने कब्रिस्तान, कहीं रसोई के पास ‘अपनों’ को दफनाया तो कहीं आंगन में

आगरा। जनपद में एक ऐसा गांव भी है जिसकी दास्तां सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। इस गांव में रहने वाले मुस्लिम परिवारों ने अपने घरों में ही कब्रिस्तान बना लिया है। गांव में ये आलम है कि जहां परिवार के लिए खाना पकता है उसी के दो कदम पर एक कब्र है। परिवार के छोटे बच्चे अब डरने लगे हैं, घर में कब्रिस्तान के पीछे भी एक बजह है।
आगरा से करीब 25 किलोमीटर दूर किरावली ब्लॉक, अछनेरा में एक छोटा सा गांव है जिसका नाम है छह पोखर। इस गांव में तकरीबन 50 मुस्लिम परिवार रहते हैं। इन परिवारों के मुखिया मुंशी, वेद मास्टर, जाकिर हुसैन, फिरोज आदि की इस गांव में सातवीं पीढ़ी है। इनका कहना है कि परिवार में जब भी किसी का इन्तकाल होता है, हम उस की ज़नाज़े को अपने घर के आंगन में दफना देते है।
देश की आज़ादी के बाद से अब तक इस गांव में लोगों को दफनाने के लिए कब्रिस्तान नहीं है। घर में बुजुर्गों की कब्र हैं जिन्हें देखकर अब बच्चे और परिवार के लोग डरने लगे हैं। उन्हें के सामने लोगों को घरों में कब्र बनाकर दफना लेते हैं। आज ये वक्त आ गया है कि सामने चूल्हे पर रोटियां बन रही हैं और उसके दो कदम पर कब्र है। परिवार के लोगों के चहरे पर अब एक खौफ नजर आने लगा है।
गांव के नूर मोहम्मद कहते हैं कि ताजमहल के शहर में लोगों को घरों में कब्र बनानी पड़ रही है, उनकी पत्नी और बच्ची की कब्र घर में ही मौजूद है। मंशी ठेकेदार का कहना है कि सार्वजनिक कब्रिस्तान नहीं है और उनके पास खेती या जगह भी नहीं है जहां वे अपनों को दफना सकें। बताते हैं कि परिवारवालों को घरों में दफनाना पड़ता है। ज्यादातर लोग शहर में मजदूरी करने के लिए सुबह ही निकल जाते हैं और शाम को लौटते हैं।
गांव छह पोखर की आबादी करीब चार हजार लोगों की है। यहां मिश्रित आबादी है। इस गांव में रहने वाले करीब 50 मुस्लिम परिवार के करीब 90 से ज्यादा वोट भी है। मुस्लिम नेता इदरीश अली का कहना है कि इस गांव में हिन्दुओं के लिए श्मशान तो है। लेकिन, मुस्लिमों के लिए कोई स्थाई कब्रिस्तान नहीं। इस गांव में एक दो मुस्लिम परिवारों को छोड़कर सभी भूमिहीन हैं।

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