सनातन धर्म में ॐ को को बहुत ही प्रभावशाली माना गया है। ॐ में का उच्चारण करते समय तीन अक्षरों की ध्वनि निकलती है। ये तीन अक्षर क्रमशः अ+उ+म् हैं। इसमें ‘अ’ वर्ण ‘सृष्टि’ का घोतक है ‘उ’ वर्ण ‘स्थिति’ दर्शाता है जबकि ‘म्’ ‘लय’ का सूचक है। इन तीनों अक्षरों में त्रिदेव यानी (ब्रह्मा,विष्णु,महेश) का साक्षात वास माना जाता है। ॐ के जाप को अनिष्टों का समूल नाश करने वाला व सुख-समृद्धि प्रदायक माना गया है। ओंकार ब्रह्मनाद है, इसके उच्चारण व जाप से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है। किसी भी मंत्र में उच्चारण के आरंभ में ॐ अवश्य लगाया गया है। ॐ का उच्चारण अत्यंत प्रभावशाली और चमत्कारिक लाभ पहुंचाने वाला माना गया है। जानते हैं कि ॐ के उच्चारण से क्या होते हैं लाभ और क्या हैं इसके जाप की विधि।
ॐ जाप के फायदे-
- ॐ का उच्चारण करने मात्र से ही शारीरिक और मानसिक रूप से शांति प्राप्त होती है।
- ॐ का उच्चारण और जाप करने से आसपास के वातावरण में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- यदि सही प्रकार से पूर्ण ध्यान लगाकर ॐ का जाप किया जाए तो इससे आपको सकारात्मकता, शांति और ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
- माना जाता है कि नियमित रूप से ॐ का जाप करने से एकाग्रता और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।
- नियमित तौर पर ॐ का उच्चारण व जाप करने से तनाव और अनिद्रा जैसी समस्याओं से भी मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।
- जब ॐ का उच्चारण करते हैं तो पूरे शरीर में कंपन सा होता है, जिससे आपके पूरे शरीर को लाभ पहुंचता है।
- ॐ का उच्चारण करने से पेट व रक्तचाप से संबंधित समस्याओं में भी लाभ मिलता है।
ऊं के उच्चारण की विधि-
सनातन धर्म में पूजा पाठ व जाप आदि के लिए एक समय बताया गया है। इसी तरह से ॐ का उच्चारण प्रातः सूर्योदय से पूर्व उठकर करना चाहिए। ॐ का जाप करने के लिए एक शांत जगह का चुनाव करें, जहां पर आप पूरी तरह ध्यान लगा सकें। अब सुखासन मुद्रा में बैठकर मन में ॐ की आकृति का ध्यान लगाते हुए उच्चारण करना चाहिए। एक बार में कम से कम 108 बार ॐ का उच्चारण करना चाहिए। इसके बाद आप धीरे-धीरे उच्चारण की अवधि बढ़ा सकते हैं।
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