नई दिल्ली। भले ही चीन पाकिस्तान का सबसे बड़ा और करीबी दोस्त हो और आतंकी मसूद अजहर के बचाने के लिए दुनिया भर देशों की भी उसे परवाह नहीं हो, लेकिन उसी चीन में रह रहे मुस्लमानों की क्या स्थिति है यह किसी से छुपी हुई नहीं है। आलम ये है कि यहां के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में हर समय उच्च तकनीक से लैस ड्रोन से निगरानी की जाती है। ड्रोन कैमरे की मदद से अपने नियंत्रकों को तस्वीरें भेजता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक शिनजियांग प्रांत के उइगर में पिछले एक महीने में 5 लाख से ज्यादा मुस्लमानों के चेहरे को स्कैन किया गया और इसका इस्तेमाल प्रोफाइल बनाने में किया जा रहा है।
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ की मानें तो चीन अप्रैल 2017 से शिनजियांग प्रांत में नजरबंदी शिविरों में 10 लाख से ज्यादा उइगरों, कजाखों और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों को हिरासत में ले चुका है। आपको बता दें कि चीनी सरकार ने वहां के मुसलमानों पर कई तरह की पाबंदियां लगा रखी हैं। यहां तक की चीन की सरकार ही तय करती है कि उनके मुल्क में रह रहे मुसलमान क्या खाएंगे। क्या पिएंगे। उनके लंबी दाढ़ी रखने पर पाबंदी है। नकाब पहनने पर पाबंदी है। सार्वजनिक जगहों पर नमाज पढ़ने पर पाबंदी है। बच्चों को धार्मिक शिक्षा देने पर रोक है। लाउडस्पीकर पर अजान पुकारने पर पाबंदी है। हलाल गोश्त खाने पर पाबंदी है। और तो और सरकारी टीवी चैनल देखने की भी मनाही है।
यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने शिनजियांग प्रांत में ऐसे कई खुफिया कैंप बना रखे हैं। जहां सरकार की प्रताड़ना के खिलाफ आवाज उठाने वाले 10 लाख से ज्यादा चीनी मुसलमानों को कैद करके रखा गया है। यहां उनकी धार्मिक आजादी छीन ली गई है और उन्हें मजहबी कामों से दूर रहने को मजबूर किया जा रहा है। और तो और कैदखानों में उन्हें राष्ट्रपति शी जिनपिंग से वफादारी की कसमें खिलाई जाती है। मगर इन सब के बावजूद किसी इस्लामिक देश ने चीन के खिलाफ आवाज नहीं उठाई। चीन अपने घर में लाखों मुसलमानों को प्रताड़ित करता है, लेकिन हिंसक इस्लामिक आतंकी समूहों को संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध से बचाता है। चीन ने शिनजियांग प्रांत में 2017 से अब तक 10 लाख से ज्यादा उइगरों, कजाखों और दूसरे मुस्लिम अल्पसंख्यकों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिया है। उन्हें तत्काल रिहा किया जाना चाहिए. हाल ही में चीन ने खुद दावा किया था कि शिनजियांग प्रांत में 2014 से अब तक करीब 13 हजार आतंकी गिरफ्तार किए गए हैं। पॉम्पियो का इशारा साफ है। चीन की दोहरी नीति अब नहीं चलेगी। क्योंकि वो एक तरफ तो अपने अल्पसंख्यक मुसलमानों पर सितम करता है। वहीं दूसरी तरफ इस्लामिक आतंकियों को बचाता है।
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