छात्रा ने 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने दोबारा बयान दर्ज कराने की भी मांग की थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़िता की इस मांग को भी खारिज कर दिया.
प्रयागराज. पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद पर एलएलएम की छात्रा के साथ दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न के मामले में सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में करीब डेढ़ घंटे तक सुनवाई हुई. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने चिन्मयानंद की ब्लैकमेलिंग मामले में गिरफ्तारी पर रोक लगाने को लेकर छात्रा की ओर से दाखिल अर्जी को ठुकरा दिया है. अदालत ने कहा यह स्पेशल बेंच है, जो सिर्फ एसआईटी जांच की मॉनिटरिंग करेगी. हालांकि, जस्टिस मनोज मिश्र और जस्टिस मंजू रानी चौहान की खंडपीठ ने छात्रा से कहा है कि गिरफ़्तारी पर रोक के लिए अलग से नियमित कोर्ट में अर्जी दाखिल की जा सकती है.
SIT की जांच से एचसी संतुष्ट
डिवीजन बेंच ने छात्रा द्वारा मजिस्ट्रेट के सामने 164 का बयान दोबारा दर्ज कराए जाने की मांग वाली अर्जी भी ठुकराई दी है. अदालत ने कहा इसके लिए छात्रा ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर कर सकती है. यह बेंच निचली अदालत के काम में दखल नहीं देगी. छात्रा ने अपनी याचिका में मजिस्ट्रेट बयान के वक्त एक अंजान महिला के मौजूद रहने और सिर्फ अंतिम पेज पर ही दस्तखत कराने का आरोप लगाया था. अदालत ने यूपी सरकार की तरफ से इस मामले की सुनवाई बंद कमरे में किए जाने की मांग भी ठुकरा दी. सुनवाई के दौरान अदालत एसआईटी की अब तक की जांच से फौरी तौर पर संतुष्ट नजर आई. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच इस मामले में 22 अक्टूबर को फिर से सुनवाई करेगी. एसआईटी को 22 अक्टूबर को कोर्ट में अगली प्रोग्रेस रिपोर्ट दाखिल करनी होगी.
‘ब्लैकमेलिंग केस में छात्रा की संलिप्तता’मामले की जांच कर रही एसआईटी ने शुक्रवार को रेप के आरोपी चिन्मयानंद और उनसे 5 करोड़ की फिरौती मांगने के मामले में छात्रा के तीन सहयोगी संजय, विक्रम और सचिन को गिरफ्तार कर जेल भेजा है. ब्लैकमेलिंग मामले में छात्रा की संलिप्तता भी मिली है. लिहाजा, एसआईटी उसकी भी गिरफ़्तारी कर सकती है. गिरफ़्तारी की तलवार लटकती देख छात्रा शनिवार को ही प्रयागराज पहुंच गई थी. उसने खुद की गिरफ़्तारी पर रोक लगाने की अर्जी दाखिल की थी.
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