बेंगलुरू। लोकसभा चुनाव 2019 में प्रचंड जीत के साथ केंद्र की सत्ता में सवार हुए बीजेपी को एक बार विधानसभा चुनावों में धक्का लगा है, यह ठीक 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद ट्रेंड है, जब मोदी सरकार-1 सत्ता में दो तिहाई बहुमत के बाद सत्तासीन हुई थी और बीजेपी 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव बुरी तरह से हार गई थी। फिर इसके बाद हुए पंजाब विधासभा चुनाव में भी बीजेपी-अकाली दल गठबंधन हारकर सत्ता से बाहर हो गई।
बीजेपी के हार का सिलसिला 2015 से शुरू हुआ तो 2018 तक चला। बीजेपी के लिए असम, त्रिपुरा को छोड़ दिया जाए तो 2015 से 2018 के बीच में बीजेपी राजस्थान, छत्तीसगढ़, राजस्थान और कर्नाटक जैसे पारंपरिक राज्यों में हारकर सत्ता से बाहर हो गई। कुछ ऐसा ही ट्रेंड वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव के बाद शुरू होता दिख रहा है जब महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी का सामना अबकी बार गठबंधन सरकार से हो रहा है।
गौरतलब है वर्ष 2014 में बीजेपी ने महाराष्ट्र और हरियाणा में प्रचंड जीत दर्ज कर सरकार बनाने में कामयाब हुई थी। 2014 में बीजेपी ने पहली बार हरियाणा में अपने बलबूते पर सरकार बनाने में कामयाब हुई थी, लेकिन 2019 विधानसभा चुनाव में दोनों राज्यों में बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा है। बीजेपी को दोनों राज्यों में पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में नुकसान हुआ है।
हरियाणा में बीजेपी ने पिछले विधानसभा चुनाव में 48 सीट जीतीं थी, लेकिन इस बार पार्टी 40 के आंकड़े तक सिमट गई और बीजेपी को अब जेजेपी के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनानी पड़ गई। कमोबेश बीजेपी का हाल महाराष्ट्र भी ऐसा ही है, जहां पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अकेले मैदान में उतरी थी और 260 सीटों पर लड़कर 122 सीटों पर जीत दर्ज की थी, लेकिन इस बार बीजेपी शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ी।
2019 महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी 162 सीटों पर चुनाव लड़ी और 105 सीटों पर विजयी रही जबकि एनडीए सहयोगी शिवसेना 126 सीटों पर लड़कर महज 56 सीटों पर विजय पताका लहरा पाई। बीजेपी और शिवसेना गठबंधन को पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार कम सीटें हासिल हुईं, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में दोनों दलों को क्रमशः 122 और 62 सीटें हासिल हुईं थी, जिनका जोड़ 184 बैठता है>
लेकिन विधानसभा चुनाव 2019 में दोनों दलों की सीटों का जोड़ 161 सीट है। बीजेपी गठबंधन को इस बार 23 सीटों का नुकसान हुआ। इसमें सीधे-सीधे बीजेपी को 17 सीटों का नुकसान हुआ जबकि शिवसेना को 6 सीटें गंवानी पड़ गई। यही वजह है कि सीटों में पिछड़ी बीजेपी को सत्ता के लिए शिवसेना के साथ संघर्ष करना पड़ रहा है।
शिवसेना महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने के लिए बीजेपी के सामने 50-50 फार्मूले की शर्त रख रही है। हालांकि शिवसेना खुद भी जानती है कि उसकी यह मांग जायज नहीं है, लेकिन बीजेपी को सत्ता से दूर रखने की ताक में जुटी एनसीपी और कांग्रेस के अंकगणित बीजेपी को शिवसेना के साथ मान-मन्नौवल की स्थिति से जूझना पड़ रहा है।
बीजेपी और शिवसेना दोनों जानते हैं कि दोनों दलों की समान विचारधारा पार्टी का किसी और दल के साथ गुजारा नहीं है, लेकिन बीजेपी की सीटों की संख्या में गिरावट ने शिवसेना को मजबूती प्रदान कर दी है, जिससे शिवसेना अपनी शर्तों को गठबंधन सरकार पर थोपने पर अमादा है।
महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना की सरकार बननी तय है, लेकिन बड़े भाई की भूमिका के तहत बीजेपी को शिवसेना के आगे हथियार डालने पड़ रहे है। इसकी बानगी है कि बीजेपी ने शिवसेना को 40 का फार्मूला सुझाया है।
बीजेपी के लिए महाराष्ट्र का सिरदर्द खत्म होगा तो हरियाणा में उसके लिए माइग्रेन तैयार हो रहा है। दरअसल, हरियाणा में बीजेपी के नेतृत्व में बनी गठबंधन सरकार में शामिल जेजेपी चुनावी कैंपेन में किए वादों को लागू करवाना चाहती है और गठबंधन सरकार चलाने के दवाब में बीजेपी को जेजेपी चीफ दुष्यंत चौटाला के घोषणा पत्र को भी शामिल करना होगा।
अगर बीजेपी ऐसा करती है, तो हरियाणा सरकार की आर्थिक हालत खराब हो सकती है। दरअसल, जेजेपी चीफ दुष्यंत चौटाला ने चुनाव पूर्व जारी घोषणा पत्र में हरियाणा के युवाओं से काफी लुभावने वादे किए हैं। इनमें शिक्षित बेरोजगारों को 11 हजार रुपए का बेरोजगारी भत्ता प्रमुख है। इसके अलावा जेजेपी के घोषणा पत्र में बुजुर्ग पेंशन 5100 रुपए निर्धारित की गई है।
गौरतलब है अगर मनोहर लाल खट्टर सरकार गठबंधन में शामिल जेजेपी की घोषणा पत्र को लागू करने का विचार करती है, तो हरियाणा का पूरा खजाना खाली हो जाएगा और अगर जेजेपी के घोषणा पत्र की अनदेखी किया जाता है तो जेजेपी हरियाणा सरकार से बाहर निकलने का खतरा बना रहेगा। हालांकि हरियाणा की सरकार चलाने के लिए दोनों दल एक कॉमन मिनिमन प्रोग्राम (सीएमपी) के तहत काम करेंगी और उसके आधार पर चीजें तय होंगी।
लेकिन जनता से किए वादों को पूरा करने का दवाब दुष्यंत चौटाला को बीजेपी के साथ रस्साकसी का मौका जरूर बनाएगी, भले ही बयानबाजी के रूप में ही क्यों न हो। चूंकि बीजेपी को अपनी छवि की चिंता होगी, इसलिए दवाब बीजेपी पर अधिक होगा, लेकिन 10 महीनों पुरानी जेजेपी का इस तरह के दवाबों से कोई वास्ता नहीं रखेगी।
ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी के लिए आने वाले चुनाव भी संतोषजनक तस्वीर नहीं दिखाते हैं। जल्द ही झारखंड में चुनाव होने हैं। मुख्यमंत्री रघुवरदास के नेतृत्व में बीजेपी एक बार झारखंड में सरकार बनाने का दावा कर रही है, लेकिन अगर झारखंड में भी नतीजे ग्रेस मार्क वाले निकले, तो बीजेपी के लिए सिरदर्द बढ़ना तय माना जा रहा है। वहीं, 2020 में ही बिहार विधानसभा में भी चुनाव होना है।
बीजेपी के लिए बिहार विधानसभा में भी सुकूंन नहीं मिलने वाला है। बिहार में फिलहाल बीजेपी-जदूय गठबंधन सरकार चल रही है, लेकिन नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर नीतीश विरोधी खेमे के नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बयान से पार्टी परेशान हैं।
हालांकि बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने नीतीश कुमार को एनडीए का चेहरा बताकर विवाद खत्म करने की भरपूर कोशिश की है, लेकिन लगता नहीं है कि बिहार विधानसभा चुनाव तक एनडीए और उसके सहयोगी दलों के बीच सबकुछ सामान्य रहने वाला है, क्योंकि बतौर बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का कार्यकाल जनवरी, 2020 में खत्म हो रही है।
जेजेपी चीफ दुष्यंत चौटाला के घोषणा पत्र में किए गए वादे
- शिक्षित बेरोजगारों को 11 हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता देने का वादा
- बुजुर्ग पेंशन 5100 रुपये की जाएगी
- नौकरियों में हरियाणा के स्थानीय लोगों को 75 फीसदी आरक्षण मिलेगा
- किसानों के सहकारी बैंकों का पूरा कर्जा माफ होगा. उनकी जमीन की नीलामी पर रोक
- कर्मचारियों की पुरानी पेंशन नीति बहाल होगी
CM मनोहर लाल खट्टर के मेनिफिस्टो मे किया गया वादा
- युवा विकास एवं स्वरोजगार मंत्रालय गठित करेंगे।
- 500 करोड़ रुपये खर्च कर के 25 लाख युवाओं को कौशल प्रदान करेंगे।
- बुजुर्ग पेंशन 3000 रुपये की जाएगी।
- युवाओं के लिए मुद्रा लोन स्कीम प्रभावशाली ढंग से क्रियान्वित करवाएंगे. स्थानीय लोगों को 95 फीसदी से ज्यादा रोजगार देने वाले उद्योगों को विशेष लाभ मिलेगा।
- किसानों के लिए फसली ऋणों पर पांच हजार करोड़ के ब्याज और जुर्माना माफ करने के लक्ष्य को पूरा करेंगे।
- सरकारी कर्मचारियों की सभी वेतन विसंगतियों को दूर किया जाएगा. वरिष्ठता सूची प्रकाशित करेंगे।
गठबंधन सरकार में जेजेपी बीजेपी पर बना सकती है दवाब!
हरियाणा में बीजेपी के नेतृत्व में बनी गठबंधन सरकार में शामिल जेजेपी चुनावी कैंपेन में किए वादों को लागू करवाना चाहती है और गठबंधन सरकार चलाने के दवाब में बीजेपी को जेजेपी चीफ दुष्यंत चौटाला के घोषणा पत्र को भी शामिल करना होगा। अगर बीजेपी ऐसा करती है, तो हरियाणा सरकार की आर्थिक हालत खराब हो सकती है। दरअसल, जेजेपी चीफ दुष्यंत चौटाला ने चुनाव पूर्व जारी घोषणा पत्र में हरियाणा के युवाओं से काफी लुभावने वादे किए हैं। इनमें शिक्षित बेरोजगारों को 11 हजार रुपए का बेरोजगारी भत्ता प्रमुख है।
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