महाराष्ट्र: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन पर संकट आ सकता है। महाराष्ट्र की नई सरकार ने इस प्रोजेक्ट के रिव्यू के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का कहना है कि उन्होंने राज्य में चल रहे सभी काम का रिव्यू करने को कहा है, जिसमें बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट भी शामिल है। बुलेट ट्रेन परियोजना को किसानों और आदिवासियों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा जिनकी भूमि अधिग्रहित की जानी है।
उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘यह सरकार आम आदमी की है। हम बुलेट ट्रेन (परियोजना) की समीक्षा करेंगे। ठाकरे ने बताया कि उनकी सरकार राज्य की वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र भी लाएगी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार जिस पर करीब पांच लाख करोड़ रुपये का कर्ज है वह किसानों का बिना शर्त कर्ज माफ करने को लेकर प्रतिबद्ध है। ठाकरे ने कहा कि भाजपा नीत सरकार की जो प्राथमिकताएं थीं, उन्हें हटाया नहीं गया है। उन्होंने कहा कि इसमें प्रतिशोध की राजनीति नहीं है।
वहीं भाजपा पर लगातार सामना के जरिेए हमला करने वाली शिवसेना ने एक बार फिर उसपर तंज कसा है। उसका कहना है कि 170 का आंकड़ा देखकर विपक्ष विधानसभा से भाग खड़ा हुआ। शिवसेना ने लिखा, सरकार के साथ 170 विधायकों का बल है, ये हम पहले दिन से कह रहे थे। परंतु फडणवीस के चट्टे-बट्टों के चश्मे से ये आंकड़ा 130 के ऊपर जाने को तैयार नहीं था। विचारों की उड़ान भरने की क्षमता नहीं होगी तो कइयों को सह्याद्रि ‘टीले’ जैसा लगता है। ऐसा ही बहुमत के मामले में हुआ। 170 की संख्या देखकर फडणवीस के नेतृत्ववाला विपक्ष विधानसभा से भाग खड़ा हुआ। विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव से भाजपा के अपने उम्मीदवार का नाम वापस लेने पर सामना में लिखा है कि रविवार को विधानसभा अध्यक्ष पद पर नाना पटोले की नियुक्ति भी निर्विरोध हो गई। कदाचित शनिवार को 170 का आंकड़ा भाजपावालों के आंख और दिमाग में घुस जाने का परिणाम ऐसा हुआ कि विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव में उन्हें पीछे हटना पड़ा। अब अगले 5 साल उन्हें इसी तरह पीछे हटने की आदत डालनी पड़ेगी।
विपक्ष के नेता, पद की शान व प्रतिष्ठा बरकरार रहे, ऐसी हमारी इच्छा: सामना
पूर्व मुख्यनमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सलाह देते हुए पार्टी ने लिखा है कि मुख्यमंत्री की हैसियत से देवेंद्र फडणवीस ने जो गलतियां कीं वह विरोधी पक्ष नेता के रूप में तो उन्हें नहीं करनी चाहिए। विपक्ष के नेता पद की शान व प्रतिष्ठा बरकरार रहे, ऐसी हमारी इच्छा है। बहुमत के आसपास भी जाना संभव न होने के बावजूद दिल्ली ने फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई और उस सरकार के धराशायी होने के बाद अब विरोधी पक्ष के नेता पद पर भी पुन: फडणवीस की ही नियुक्ति कर दी गई। शिवसेना ने आगे लिखा, ‘असल में महाराष्ट्र की जनता को भाजपा के राज्य स्तरीय नेतृत्व में भी बदलाव चाहिए था तथा इसका प्रतिबिंब मतदान में दिखा था। इसके बावजूद भाजपा नेतृत्व ने विपक्ष के नेता पद पर फडणवीस को ही बैठाया। अर्थात यह उनका अंदरूनी मामला होने के कारण हम इस पर ज्यादा बोलेंगे नहीं। परंतु विश्वासमत प्रस्ताव के मौके पर नए विपक्षी नेता ने जो ‘ड्रामा’ किया वो कुछ ठीक नहीं था। ‘मैं नियम और कानून से चलनेवाला इंसान हूं’ ऐसी हास्यास्पद बातें उन्होंने कहीं।’
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