लखनऊ। केंद्र के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार पर्यावरण के प्रति बेहद संवेदनशील है। महाकुंभ के दौरान गंगा नदी में जल प्रदूषण पर लगाम लगाने में सफल रही उत्तर प्रदेश सरकार अब नौ शहरों में नदियों में हो रहे प्रदूषण को रोकने का अभियान चलाने जा रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को लखनऊ में क्लीन एयर प्रोग्राम विषय पर आयोजित कार्यशाला में लगी प्रदर्शनी का अवलोकन करने के बाद मीडिया को सरकार की योजना के बारे में भी बताया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम उत्तर प्रदेश में नौ शहरों में नदियों के प्रदूषण को लेकर गंभीर हैं। इन सभी नौ शहरों में अब निगरानी केंद्र स्थापित किए जाएंगे। जिससे जानकारी मिलेगी कि कहां से नदियों को सर्वाधिक प्रदूषित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मैंने बहुत जगह देखा है कि एसटीपी प्लांट सिर्फ लगे हैं, चलाए नही जाते।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सब जानते है कि आज वायु प्रदूषण एक वैश्विक समस्या बन चुका है। सयुक्त राष्ट्र संघ ने भी सतत विकास के अभियान में प्रदूषण को भी एक बिंदु बनाया है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण की समस्या का खत्म करने का रास्ता भारत से ही निकल सकता है। उन्होंने कहा कि प्रकृति का दोहन सदा गलत रहा है। हमने प्रयागराज कुम्भ में भी प्रदूषण को रोकने में सफलता पाई थी। एक वर्ष पहले ही हमने कुम्भ की तैयारी शुरू की थी। जिसमे हमने गंगा की अविरलता का भी ध्यान रखा। जिसका परिणाम था कि तकनीकी की उपलब्धता के साथ गंगा नदी की अविरलता बरकरार रखी गई।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विकास योजनाओं को हरी झंडी देते वक्त यह भी देखा जाए कि जो पेड़ काटे जा रहे हैं उनके स्थान पर दूसरी जगह पर पेड़ लगाए भी जाएं और उन्हें सुरक्षित भी रखने की पुख्ता व्यवस्था हो। इसके साथ ही किसान लागतार गेंहू काटने के बाद खेत में आग लगा रहे हैं, जो कि वायु प्रदूषण की बड़ी समस्या पैदा कर रहे है। इसके लिए जागरूकता की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड व अन्य ईकाई का काम सिर्फ चलान काटना नही है। इसका अहम काम जागरूकता फैलना भी है। इनको इस काम को भी तेजी से अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि आज तकनीकी को हमने इतना महंगा कर रखा है कि सॉलिड वेस्ट मनागमेंट काफी महंगी पड़ती है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ करोड़ लोगों को निशुल्क एलपीजी गैस कनेक्शन उपलब्ध कराए थे, जिसने प्रदूषण का बड़े स्तर पर रोका है। हमको तो प्रकृति के साथ हमे समन्वय बनना होगा, तभी हर स्तर पर प्रदूषण पर नियंत्रण होगा। वन विभाग को भी किसी को भी सार्वजनिक स्थल पर लगे पेड़ को काटने की अनुमति नही देना चाहिए। हमें प्रकृति के साथ समन्वय बनाना होगा। प्रकृति का दोहन रोकना होगा। अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एक ऐसा रास्ता बनाये जो विकास को भी न रोके और प्रकृति के साथ संतुलन भी बना रहे।
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