सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी पेशे की शुचिता बरकरार रखने के लिए वकीलों के खिलाफ वादकारियों की शिकायतों के त्वरित निपटारे की जरूरत बताई। भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) ने निपटारे के लिए तीन महीने का समय मांगा था, जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने 31 दिसंबर तक सभी शिकायतों पर फैसला लेने का निर्देश दिया।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा, संबंधित राज्यों की विधिज्ञ परिषदों के समक्ष शिकायतें एक वर्ष से अधिक समय से लंबित थीं। इन्हें स्थानांतरित किया जाना आवश्यक था। बीसीआई को जो भी शिकायतें मिली हैं उन पर जल्द निपटारा किया जाए। पेशे का अनुशासन बनाए रखने के लिए यह जरूरी है ताकि वादिकारियों का भरोसा इस पेशे और इसके तंत्र में बना रहे। शीर्ष अदालत ने एक पक्षकार की उन दलीलों का भी संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया था कि एक वर्ष से अधिक समय से तमाम शिकायतें लंबित हैं, इसके बावजूद संबंधित राज्य विधिज्ञ परिषदों ने मामलों को बीसीआई को स्थानांतरित नहीं किया। पीठ ने कहा, भारतीय विधिज्ञ परिषद को उन मामलों का जल्द से जल्द निपटारा सुनिश्चित करना चाहिए जो हमारे पहले के आदेश और वर्तमान आदेश द्वारा स्थानांतरित किये गये हैं या स्थानांतरित समझे गए हैं।
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