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नई दिल्ली। देश में कोरोना के घटते-बढ़ते मामलों के बीच संक्रमण का डेल्टा वैरिएंट काफी घातक बनता जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संक्रमण का यह वैरिएंट अल्फा वैरिएंट से ज्यादा खतरनाक है। इतना ही नहीं देश में दूसरी लहर के लिए भी डेल्टा वैरिएंट ही जिम्मेदार है। द इंडियन SARS COV2 जीनोमिक कंसोर्टिया और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) के अध्ययन में यह बात सामने आई है। स्टडी में यह बात सामने आई है कि Delta वैरिएंट ( B.1.617.2), Alpha (B.1.1.7) के मुकाबले 50% ज्यादा तेजी से फैल सकता है।
बताया गया कि टीका लेने के बाद पॉजिटिव होने में डेल्टा वैरिएंट की भूमिका बहुत ज्यादा है. किसी के अल्फा वैरिएंट से संक्रमित होने वाले मामले में टीके के बाद इन्फेक्शन का मामला नहीं है। हालांकि अब तक यह साबित नहीं हो पाया है कि मृत्यु दर और गंभीर मामलों को लेकर अब तक इस वैरिएंट की भूमिका है। जिनोम स्क्विेंसिंग में यह सामने आया है कि करीब 8, 900 सैंपल में B.1.617 यानी अल्फा वैरिएंट पाया गया है। वहीं 1,000 से ज्यादा सैंपल में B.1.617.2 यानी डेल्टा वैरिएंट पाया गया है। अब तक कुल 29 हजार जिनोम सिक्वेंसिंग हुई है।
स्टडी में यह भी सामने आया है कि देश में 12,200 से ज्यादा वैरिएंट ऑफ कंसर्न यानी VOC हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक किसी भी वैरिएंट को चिंताजनक तब माना जाता है जब उसमें संक्रमण की क्षमता अधिक दिखती है या फिर मूल स्वरूप में कोई अन्य बदलाव दिखते हैं। किसी भी वैरिएंट को चिंताजनक घोषित करने के पहले इवोल्यूशन वर्किंग ग्रुप से सलाह ली जाती है।
भारत में सबसे ज्यादा असरदार डेल्टा वैरिएंट है और सभी इसकी मौजूदगी राज्यों में है। इसका सबसे ज्यादा असर दिल्ली, आंध्रप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना में पाया गया है।
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