लोकतंत्र में सरकारें इसलिए बनती हैं कि देश को संविधान के दायरे में रहकर एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ चलाया जा सके। देश को चलाने में सरकारी विभागों के साथ ही सरकारी कंपनियों को सुचारू रूप से चलाना बहुत महत्वपूर्ण होता है। मोदी सरकार है कि हर सरकारी कंपनी का निजीकरण करने को उतारू है। रेलवे, दूरसंचार जैसे महत्वपूर्ण विभाग का एक तरह से निजीकरण किया ही जा चुका है।
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मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट से कांग्रेस की प्रत्याशी रहीं फिल्म अभिनेत्री नगमा केंद्र सरकार और नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा। जिस तरह से मोदी सरकार सभी सरकारी कंपनियों को एक एक करके बेच रही है देश में गुस्से का माहौल है। उन्हें उन्होंने ट्वीट कर देश में हो रहे निजी करण को लेकर अपना गुस्सा जाहिर किया।
देश में हो रहे निजी करण को लेकर नगमा ने ट्वीट किया और लिखा
अरे भाई अगर कांग्रेस ने 70 सालों में कुछ करा ही नही ……
तो तुम जो बेच रहे हो वो तुम्हारी नानी दहेज में लाई थी क्या
इससे पहले कांग्रेस नेता अखिलेश सिंह ने एक सभा में कहा था निकम्मी औलाद हमेशा पूर्वजों की संपत्ति बेच दिया करते हैं दरअसल उनका निशाना सीधे-सीधे नरेंद्र मोदी पर था।
देश को गुलामी की ओर ले जा रहा है मोदी सरकार का सरकारी कंपनियों का निजीकरण करने का निर्णय
यदि ईस्ट इंडिया कंपनी का इतिहास पढ़ो तो हमारे देश पर अंग्रेजों ने इसी तरह से कब्जा जमाया था। जब किसी कंपनी का वर्चस्व सरकारी तंत्र पर बढ़ता जाता है तो देश की व्यवस्था एक तरह से उस कंपनी के हाथों में आती चली जाती है। मोदी सरकार का सरकारी कंपनियों का निजीकरण करने का निर्णय देश का गुलामी की ओर ले जा रहा है। भावनात्मक मुद्दों के बल पर देश पर राज करने वाली भाजपा सरकारी संसाधनों को पूंजपीतियों को बेचने पर लगी है। जिन संसाधनों से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है वही संसाधन सरकार चुनिंदा पूंजीपतियों को बेच दे रही है। मतलब निजीकरण से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत नहीं होगी बल्कि इन पूंजीपतियों की होगी। व्यवसाय करने वाले व्यक्ति का मकसद मुनाफा कमाना होता है। उसे देश और समाज से कोई मतलब नहीं होता है। यदि उस कंपनी को देश की किसी भी कीमत पर अपना मुनाफा मिल रहा होता तो वह मुनाफा की ओर जाएगी।
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अब केंद्रीय कैबिनेट ने सरकारी कंपनियों में अब तक के सबसे बड़े विनिवेश को मंजूरी दी है, इसके पीछे मंदी से निपटना बताया जा रहा है, जिसका अंदाजा किया जा रहा था वह काम अब मोदी सरकार ने पूरी तरह से करना शुरू दिया है। सरकार ने अब पांच ब्लू चिप कंपनियों भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और ऑनलैंड कार्गो मूवर कॉनकोर अपनी हिस्सेदारी कम कर निजीकरण की ओर कदम बड़ा बढ़ाया है।
बाकायदा यह जानकारी आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पत्रकारों को दे भी दी है।
कैबिनेट के इस फैसले के बाद अब बीपीसीएल में इस समय सरकार की 5&.29 फीसदी हिस्सेदारी को बेचा जाएगा। इतना ही नहीं इस कंपनी का प्रबंधकीय नियंत्रण भी खरीदने वाली कंपनी के पास रहेगा। कैबिनेट ने शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में भी सरकार की 6&.75 फीसदी हिस्सेदारी को बेचने का निर्णय लिया है। रेलवे की कंपनी कॉनकोर को भी बेचा जाएगा, इसमें सरकार की हिस्सेदारी 54.8 बताई जा रही है।
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