केंद्र सरकार ने सोमवार को सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। भाजपा समर्थक जहां सरकार के इस फैसले पर खुशी जता रहे हैं, वहीं विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ मुखर हो गया है। कांग्रेस ने चुनाव से ऐन पहले सीएए लागू करने को बंटवारे की राजनीति करार दिया। कांग्रेस ने कहा कि सीएए, भेदभाव को बढ़ावा देता है और यह भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों के विपरीत है।
मौलाना शाहबुद्दीन रिजवी बरेलवी ने किया समर्थन
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शाहबुद्दीन रिजवी बरेलवी ने सीएए नोटिफिकेशन जारी होने का स्वागत किया और कहा कि ‘यह बहुत पहले लागू हो जाना चाहिए था। इस कानून को लेकर मुस्लिमों में बहुत गलतफहमी है। इस कानून का मुस्लिमों से कोई लेना-देना नहीं है। पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले गैर-मुस्लिमों को भारत की नागरिकता देने का कोई प्रावधान नहीं था। यही वजह है कि ये कानून बनाया गया। देश के करोड़ों मुसलमान इस कानून से प्रभावित नहीं होंगे और इससे किसी की नागरिकता नहीं जाएगी। बीते वर्षों में गलतफहमी की चलते विरोध प्रदर्शन हुए। कुछ राजनेताओं ने मुस्लिमों में गलतफहमी को बढ़ावा दिया और देश के हर मुसलमान को इस कानून का स्वागत करना चाहिए।’
CAA Rules : कांग्रेस ने बताया ‘बंटवारे की राजनीति’; मौलाना शाहबुद्दीन रिजवी ने किया समर्थन का एलान
असम में भी सीएए का विरोध तेज हो गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सीएए लागू करने के एलान के बाद असम स्टूडेंट यूनियन ने 30 अन्य स्थानीय संगठनों के साथ सरकार के इस फैसले का विरोध शुरू कर दिया। उन्होंने विरोध स्वरूप सीएए कानून की प्रतियां जलाईं। असम में 16 पार्टियों के संयुक्त विपक्षी फोरम ने मंगलवार को राज्य में हड़ताल का एलान किया है।
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