नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस का संक्रमण जम्मू-कश्मीर से लेकर केरल तक फैला है। अब तक 700 से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं, लेकिन देश में ही कुछ ऐसे स्थान भी हैं जहां कोरोना अपने पांव नहीं पसार पाया है। जी हां, देश की सैन्य छावनियां ऐसी जगह हैं जहां अभी तक यह जानलेवा वायरस नहीं पहुंचा है. इसकी वजह है सेना की ओर से लिए गए चार कड़े फैसले. लॉकडाउन के दो दिन पहले से ही सेना ने अपने फैसलों पर अमल शुरू कर दिया था.
सैनिकों और उनके परिवारों के लिए उठाए ये कदम
वॉयस ऑफ एक्स सर्विसमैन सोसाइटी के महासचिव और सेना से रिटायर्ड वीर बहादुर बताते हैं कि सेना ने कोरोना वायरस के खतरे को भांपते हुए पहले ही लॉकडाउन जैसा कदम उठा लिया था. सैन्य छावनियों में बनी चेकपोस्ट को सील कर दिया गया था. किसी भी बाहरी व्यक्ति के अंदर आने पर रोक लगा दी गई थी. अंदर वाला बाहर नहीं जा सकता था. 30 फीसद अफसर और 60 फीसदी जेसीओ को घर से काम करने के लिए कहा गया है.
कुछ जरूरी सामान जैसे सब्जी-दूध घरों तक पहुंचाया जा रहा है. इसके साथ ही मिलिट्री अस्पताल में ऐसे लोगों के आने पर रोक लगा दी गई है, जो नियमित तौर पर दवाई खाने वाले हैं. ऐसे लोगों से कहा गया है कि वो अप्रैल तक की दवा बाहर के बाजारों से ले लें. फिर 15 मई तक उस दवा का बिल जमा करके उसके नकद पैसे ले लें।
जनता की मदद के लिए भी सेना ने तैयार किया है प्लान
भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इस बीच आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा है कि सेना कोरोना वायरस से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है. किसी भी हालात से निपटने के लिए पूरी ताकत झोंक देगी. साथ ही उन्होंने कहा है कि सेना सिर्फ 6 घंटे की नोटिस पर आइसोलेशन वॉर्ड और आईसीयू तैयार कर सकती है. नरवणे के मुताबिक जब भी सेना को लोगों की मदद के लिए बुलाया जाएगा, वे तुरंत आ जाएंगे।
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