देश में अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशी धीरे-धीरे देश बड़ी समस्या बनकर उभर रहे हैं। बीते दिनों भरतपुर जिले में पकड़े गए 8 बांग्लादेशियों ने पूछताछ में कई चौंकाने वाले राज उजागर किए हैं। ये बांग्लादेशी अवैध तरीके से बॉर्डर क्रॉस करने के बाद भारत के अलग-अलग हिस्सों में फैल जाते हैं और चंद रुपए में ही भारत के महत्वपूर्ण दस्तावेज आधार व पैन कार्ड भी तैयार करवा लेते हैं। उसके बाद खुद को भारतीय बताते हुए यह जगह-जगह मजदूरी और काम करते हैं। मिलिट्री इंटेलिजेंस और खुफिया एजेंसियों ने करीब 2 महीने की मेहनत के बाद अवैध बांग्लादेशियों को पकड़ा।
बांग्लादेशियों बताया- वो पश्चिम बंगाल के रास्ते बॉर्डर क्रॉस करते हैं। बॉर्डर क्रॉस करने के लिए दलालों को कुछ रुपए देते हैं। उसके बाद ट्रेन और बस में सवार होकर दिल्ली, आगरा तक पहुंचते हैं और यहां से मेवात व भरतपुर के रास्ते राजस्थान में प्रवेश करते हैं। यहां से ये लोग क्रेशरों पर मजदूरी करते हैं।
बांग्लादेशी रजाउल ने बताया- उसने भुसावर क्षेत्र के बल्लभगढ़ निवासी ई-मित्र संचालक दीपक को 5 हजार रुपए दिए और उसने आधार कार्ड और पैन कार्ड तैयार करके दे दिया। पड़ताल में सामने आया कि ईमित्र संचालक आधार कार्ड और पैन कार्ड तैयार करने से पहले बांग्लादेशियों के फर्जी स्थानीय दस्तावेज तैयार करते हैं। फर्जी दस्तावेज तैयार करने के लिए ईमित्र संचालक फोटोशॉप का इस्तेमाल करते हैं। फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड भी तैयार कर देते हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मिलिट्री इंटेलिजेंस और स्थानीय खुफिया एजेंसियां अवैध बांग्लादेशियों की 2 महीने से तलाश में थी। खुफिया एजेंसियों ने जिले के मेवात और भुसावर क्षेत्र की क्रेशरों पर तलाश की। एक बार तो खुफिया एजेंसी के लोगों ने रेकी के दौरान क्रेशर से बजरी भी खरीदी। दो माह की मेहनत के बाद 8 बांग्लादेशी पकड़े।
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