जीएलए में स्थापित होगी साइबर सिक्यॉरिटी लैब

यूनिक समय, मथुरा। जीएलए विश्वविद्यालय ने साइबर सिक्यॉरिटी सिस्टम को लेकर बड़ा कदम उठाया है। विश्वविद्यालय ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत साइबर सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय नोडल एजेंसी भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (सीईआरटी-इन) राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र (एनसीसीसी) के साथ एमओयू साइन किया है। इस एमओयू के तहत जीएलए यूनिवर्सिटी में साइबर सिक्यॉरिटी लैब स्थापित की जाएगी। लैब में अनाधिकृत घुसपैठियों (हैकर) को पकड़ने के लिए हनीपोट तैनात किए जाएंगे।

यह एमओयू इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी के वैज्ञानिक अनिल सागर एवं जीएलए विश्वविद्यालय कुलसचिव अशोक कुमार सिंह के हस्ताक्षर के बाद प्रभावी हुआ है। अब इस परियोजना के तहत (सीईआरटी-इन) हनीपोट सेंसर की तैनाती के लिए उपकरण और सॉफ्टवेयर प्रदान करेगा। जीएलए विश्वविद्यालय और (सीईआरटी-इन) के बीच समझौता सहयोगात्मक अनुसंधान परियोजनाओं और छात्र इंटर्नशिप की सुविधा प्रदान करेगा। दोनों संस्थानों के संकाय सदस्यों और एमटेक एवं पीएचडी शोधकर्ताओं को अनुसंधान परियोजनाओं पर सहयोग करने, वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि का आदान-प्रदान करने और प्रत्येक संगठन में उपलब्ध अत्याधुनिक सुविधाओं और संसाधनों तक पहुंचने का अवसर मिलेगा।

एमओयू साइन के बाद जीएलए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो फाल्गुनी गुप्ता ने बताया कि हनीपोट्स का उपयोग साइबर हमलावरों के व्यवहार और उनके नेटवर्क के साथ बातचीत करने के तरीकों पर शोध करने के लिए भी किया जाता है।

डीन रिसोर्स जनरेशन एंड प्लानिंग प्रो. दिवाकर भारद्वाज ने एमओयू के बारे में अपने विचार साझा किए। बताया कि साइबर सुरक्षा एक जरूरी विषय है। डीन (अंतर्राष्ट्रीय संबंध एवं शैक्षणिक सहयोग) प्रो. दिलीप कुमार शर्मा ने बताया कि यह समझौता ज्ञापन (एमओयू ) निश्चित रूप से छात्रों को साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में अपना करियर बनाने में मदद करेगा।

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