
यूनिक समय, कोसीकलां। लेनदेन को लेकर वर्षों से न्यायालय में लड़ रहे दो व्यापारियों के मामले में जब फैसले का वक्त आया तो वह न्यायालय छोड़ शिव मंदिर की चौखट पर पहुंच गए। मंदिर में होने वाले वचनों को ही दोनों अंतिम फैसला मानने को तैयार हो गए और सामाजिक रुप से लिखित में स्वीकृति भी दे दी। इसको लेकर नगर में काफी चर्चां रही।
पुरानै जीटी रोड पर स्थित सौरभ ट्रेडर्स के संचालक सुभाष चंद बांसईया ने मेरठ की गोलाकुआं निवासी जनकराज गर्ग को करीब दस वर्ष पूर्व करीब साढ़े 11 लाख रुपए का धागा बेचा था। सुभाष चंद ने बताया कि जनकराज ने उससे माल की एवज में चेक दिया था, लेकिन निर्धारित समय पर चैक बाउंस हो गया। इस मामले को लेकर मामला न्यायालय में चल रहा था। दस वर्ष बाद फैसले का समय आया है तो दोनों व्यापारी अपनी अपनी दलीलें दे रहे थे। वही जनकराज गर्ग ने न्यायालय में दलील दी कि उसने सौरभ ट्रेडर्स से न तो माल खरीदा और ना ही कोई चैक दिया। चैक भी फर्जी हैं।
इस दलील के बाद सुभाष बांसईया मामले को लेकर भगवान के दर पर पहुंच गए उन्होंने व्यापारी के सामने कहा कि अगर उसने कोई सामान मुझसे नहीं खरीदा और उसकी एवज में चेक नहीं दिया तो भोले बाबा की पिण्डी पर हाथ रखकर कह दें तो वह रुपये छोड़ देगें। इस पर जनकराज राजी हो गए। दोनों व्यापारी रविवार की देर शाम कोसी की आदि देवी राज राजेश्वरी मां भगवती मंदिर परिसर में स्थित गोमतेश्वर शिव मंदिर पहुंचे। शिव मंदिर में जनकराज ने भोले बाबा की पिण्डी पर हाथ रखकर कह दिया कि उसने सौरभ ट्रेडर्स से कोई माल नही खरीदा और चैक दिया। इसी के साथ दस वर्षो से चला आ रहा विवाद समाप्त हो गया। ओर वही शिव भक्त भगवान पर भरोसा करने वाले कोसी के समाज सेवी सुभाष बासईया ने 11 लाख रुपये छोड़ दिये। इस मौके पर सुनील शेरगढ़िया, ओमप्रकाश बंसल, राकेश अग्रवाल, सौरभ अग्रवाल, कैलाश चंद दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ता उमाशंकर चतुर्वेदी तथा प्रेम कुमार पचौरी आदि थे।
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