दिल्ली के मुंडका में एक बिल्डिंग में हुए आग हादसे के बाद कई दिल दहलाने वाली कहानियां सामने आई हैं। शुक्रवार शाम (13 मई) करीब पौने 5 बजे एक चार मंजिला इमारत में लगी आग में जलकर मरे 27 लोगों में से कइयों की शिनाख्त तक नहीं हो पा रही है। घटना के बाद अपनों को पागलों की तरह खोजते रहे लोग। पढ़िए कुछ रुला देने वाली कहानियां…
#Rescue operation- #India– At least 27 people have lost their lives in the #fire that broke out in a three-storey commercial #building near #Delhi's Mundka metro station.#DelhiFire #MundkaFire #Mundaka pic.twitter.com/YrlpBhFTxo
— Chaudhary Parvez (@ChaudharyParvez) May 14, 2022
बिजनेसमैन इस्माइल खान की पीड़ा- इस्माइल खान अपनी बहन मुस्कान (21) की तलाश कर रहे थे, जो एक सेल्स एग्जीक्यूटिव थी। इस्माइल ने कहा “उसने मुझे लगभग 4.30 बजे फोन किया और रो रही थी। मैं मदद के लिए दौड़ा। मैंने उसे कूदने के लिए कहा और भरोसा दिलाया कि मैं उसे पकड़ लूंगा। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।” इस्माइल ने बताया कि उसके बाद मुस्कान का फोन बंद हो गया। पुलिस ने इस्माइल को बताया 27 शव बरामद कर लिए गए हैं। इस्माइल ने पूछा कि क्या उनमें उसकी बहन भी है? लेकिन अभी जवाब नहीं मिला। इस्माइल ने अपनी बहन को बचाने बिल्डिंग के अंदर जाने की कोशिश की, लेकिन कांच का एक स्लैब उस पर गिर गया। इस्माइल ने रोते हुए कहा कि फायर फाइटर्स आग बुझाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उनकी मशीनरी काम नहीं कर रही थी।
another video- #India– At least 27 people have lost their lives in the #fire that broke out in a three-storey commercial #building near #Delhi's Mundka metro station. #Rescue operation continues.. pic.twitter.com/418TtX9xF8
— Chaudhary Parvez (@ChaudharyParvez) May 14, 2022
अपनी बहन को ढूंढ रहे अजय दक्ष( Ajay Daksh) की जुबानी- अजय मुंडका में अपनी बहन के कार्यालय वाली बिल्डिंग में लगी आग के दौरान रेस्क्यू में लगी टीम को क्रेन लगाते देखकर रो रहे थे। कांप रहे थे। वे पांच घंटे तक अपनी बहन की तलाश में बदहवास यहां-वहां भटकते रहे। कभी इमारत के पास आकर तलाशते, तो कभी अस्पताल भागते। अजय ने कहा-““मुझे लोगों से पता चला कि जिस कार्यालय में मेरी बहन काम करती है, उसमें आग लग गई है। मैं फौरन घटनास्थल पहुंचा। आग की लपटों और बचाव अभियान को देख रहा था, लेकिन मुझे नहीं पता था कि मेरी बहन कहां है। रेस्क्यू टीम शवों को बाहर निकाल रही थी। मुझे उम्मीद थी कि मुझे ऐसा कुछ बुरा नहीं देखना पड़ेगा। एक बार मैं एक शव को ले जा रही एम्बुलेंस के पीछे तक भागा।” अजय की बहन मोहिनी सीसीटीवी और वाईफाई राउटर बनाने वाली कंपनी के एडमिन डिपार्टमेंट में काम करती थी।
परिसर में अपनी जान गंवाने वाले या वहां से बचकर निकले लोगों के परिचितों और परिजनों ने बताया कि दूसरी मंजिल पर एक बैठक बुलाई गई थी। अधिकांश कर्मचारी वहां जमा हो गए थे। कुर्सियों की कमी के कारण कुछ लोग फर्श पर बैठे थे। बैठक के करीब आधे घंटे बाद नीचे के एक कर्मचारी ने बिजली गुल होने और फिर आग लगने की जानकारी दी। लेकिन बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं दिखा, तो कुछ लोगों ने खिड़कियों को तोड़ने के लिए भारी वस्तुएं फेंकी और एक पाइप पर चढ़ गए। जो रुकने में असमर्थ थे, वे ऊंचे स्थान पर चले गए। आरोप कि बैठक शुरू होने से पहले कई लोगों को अपने फोन जमा करने के लिए कहा गया था। जिंदा बचे लोगों में गोविंद की मां रीना भी शामिल हैं, जिसने यह बात कही।
असेंबलिंग यूनिट में काम करने वाली इमला (40) ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया-“मैं तीसरी मंजिल पर थी। अफरा-तफरी का माहौल था। मेरे दोस्त ने एक कुर्सी ली और शीशे की खिड़कियों को तोड़ना शुरू कर दिया। मैं अन्य लोगों के साथ सीढ़ियों की ओर भागी, लेकिन जाने के लिए कोई जगह नहीं थी। आग ने सब कुछ अपनी चपेट में ले लिया। लिफ्ट ने काम करना बंद कर दिया। एक घंटे में स्थानीय लोग हमें बचाने आए। उन्हें सीढ़ियां और रस्सियां मिलीं। जो निकला पाया वो निकल गया, बाकी सब वही रह गए। मैं डर गई और खिड़की से कूद गई। मैं मरना नहीं चाहती थी। बेटा मेरा इंतजार कर रहा था।”
उत्तराखंड की रहने वालीं विमला काम के सिलसिले में दिल्ली शिफ्ट हुई हैं। हादसे में उनके हाथ जलकर कट गए। राजेश कुमार की भाभी स्वीटी पैकिंग विभाग में काम करती थी। राजेश शाम 5 बजे से इधर-उधर भागते रहे। लेकिन भाभी का कुछ पता नहीं चला।
Leave a Reply