संवाददाता
यूनिक समय, मथुरा। कृषि बिलों के विरोध में दिल्ली के बार्डर चल रहे किसान आंदोलन के छह माह पूर्ण होने पर काला दिवस मनाए जाने के आह्वान को लेकर पुलिस प्रशासन जिले भर में मुस्तैद नजर आया। पुलिस ने रणनीति के तहत से कल रात्रि से किसान नेताओं पर नजर रखना शुरु कर दिया। यमुना एक्सप्रेस वे एवं हाईवे पर दिन भर गश्त रही।
बलदेव प्रतिनिधि के अनुसार ं पूर्व जिला अध्यक्ष राजकुमार तोमर की अगुवाई में बलदेव क्षेत्र में काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस सतर्क हो गई। भाकियू के तहसील अध्यक्ष सोनवीर प्रधान के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने मांट- राया रोड पर काले झंडे व काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया। केंद्र सरकार का पुतला दहन कर नारेबाजी की।
तहसीलदार मांट राकेश सोनी व थाना अध्यक्ष मांट भीमसिंह जावला को ज्ञापन सौंपा। इस मौके पर जिला सचिव चन्द्रपाल सिकरवार,जिला उपाध्यक्ष हरिपाल चौधरी,मीडिया प्रभारी शिवकुमार तोमर, तहसील उपाध्यक्ष अमित चौकडा,तहसील महासचिव बृजेश राघव, डॉ. प्रेमवीर, युवा तहसील अध्यक्ष प्रियांश शर्मा,सोलू, राहुल चौधरी, सरमन आदि उपस्थित थे।
किसान नेता घर में नजरबंद, पुलिस का कड़ा पहरा
यूनिक समय, कोसीकलां। किसान आंदोलन के छह माह पूरे होने पर पुलिस ने राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के ब्रज प्रांत अध्यक्ष दीपक चौधरी को काला दिवस मनाने से पहले ही आर्य नगर स्थित उनके आवास में नजरबंद कर दिया। पुलिस ने घर के आसपास पहरा बैठा कर उन्हें कहीं भी जाने नहीं दिया। पुलिस की कार्रवाई से नाराज किसान नेता दीपक चैधरी ने नये कृषि कानून की वापिसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनिवार्य खरीद के लिए बनाये गये कानूनी को लेकर राष्ट्रपति के नाम पुलिसकर्मियों को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर चल रहे किसान आंदोलन को आज छह माह पूरे हो गये। यह आगे कब तक चलेगा, इसका पता नही। किसान आंदोलन का अंजाम भविष्य के गर्भ में है। बुधवार को काला दिवस मनाकर विरोध जताया जाना था।
लेकिन पुलिस ने उन्हें पहले घर में नजरबंद कर दिया। उन्होंने कहा कि जब तक तीनों काले कृषि कानून वापस नहीं होंगे, आंदोलन खत्म नहीं होगा।
आप ने भी काला दिवस का समर्थन किया
मथुरा। आमआदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष रवि प्रकाश भारद्वाज ने आन्दोलनकारी किसान संगठनों के आह्वान पर आयोजित राष्ट्रव्यापी काला दिवस का समर्थन किया। उन्होंने मोदी सरकार से किसान हित में अपनी जिद छोड़ कर किसान संगठनों के साथ सम्मान के साथ वार्ता कर तीनों काले कानून वापस लेने तथा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दिए जाने की मांग की।
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