देवरिया जिला जेल के बैरक नंबर सात में माफिया अतीक अहमद का दरबार सजता था। जेल मैनुअल के विपरीत रोजाना आठ-दस अनधिकृत लोग बैरक में मौजूद रहते थे। मोहित की पिटाई के दिन भी बैरक में 13 बाहरी लोग मौजूद रहे।
उनके जाने के बाद जेल प्रशासन के अफसरों ने सीसीटीवी फुटेज में छेड़छाड़ कर इसे मिटाने की भी कोशिश की। बैरक जेल कांड की प्रशासन स्तर से हुई जांच में खुलासा हुआ है।
लखनऊ के रीयल एस्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल का अपहरण कर 26 दिसंबर को जिला जेल में पिटाई की गई थी। पिटाई से उनके हाथ की अंगुली टूट गई थी।
जानकारी होने पर 31 दिसंबर को डीएम अमित किशोर ने एडीएम प्रशासन राकेश पटेल व एएसपी शिष्यपाल सिंह के नेतृत्व में छह सदस्यों टीम गठित की थी। जांच में यह बात सामने आई है कि रीयल एस्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल को लग्जरी वाहन से देवरिया जेल लाया गया।
यहां माफिया अतीक अहमद और उसके गुर्गों ने जेल के अंदर उसकी पिटाई की। मुलाकाती रजिस्टर में उनका नाम अतीक से मिलने वालों की सूची में है। अधिकारियों को जेल के सिपाही अनुपम ने बताया है कि अतीक से मिलने अक्सर चार-पांच लोग आते थे।
इसके लिए जेल अधीक्षक मौखिक आदेश देते थे। जांच में यह भी बात सामने आई है कि शाम 4.13 से 4.21 बजे तक 13 लोग अंदर-बाहर आते-जाते दिख रहे हैं। मजिस्ट्रेटियल जांच में इसके लिए जेल अधीक्षक, अन्य अधिकारी और कर्मचारियों को दोषी बताया गया है।
सगों को बचाने में लगे जेल प्रशासन के जिम्मेदार जिला जेल कांड में अब तक जेल प्रशासन के जिम्मेदार लोगों ने अपने सगों को बचाया है। पहले हेड वार्डन मुन्ना पांडेय, वार्डन राकेश शर्मा और एक अन्य को निलंबित किया गया था।
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और सीबीआई जांच के आदेश हुए तो जेलर मुकेश कटियार और इसके बाद जेल अधीक्षक दिलीप पांडेय को निलंबित कर दिया गया। उस दिन बैरक में तैनात हरिनाथ यादव, जटाशंकर तिवारी, अनुपम और देवेंद्र पाठक ड्यूटी पर तैनात रहे है।
जेल सूत्रों की मानें तो डीआईजी जेल का एक सगा इसमें फंस रहा था। उन्होंने अपनी जांच में इन लोगों को बचाने का पूरा प्रयास किया और अब तक सफल रहे।
इस बाबत जेल अधीक्षक केपी त्रिपाठी ने बताया कि जेल अधिकारियों और डीएम ने जांच कराई है। प्रथम दृष्टया जो दोषी मिले, उन पर कार्रवाई की गई। इसके बाद भी जो दोषी पाए जाएंगे, उन पर कार्रवाई होगी।
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