यूनिक समय, मथुरा। स्वामी घूरेलाल महाराज ‘दादा गुरु जी’ का 75वाँ वार्षिक भंडारा मेला विभिन्न आयोजनों के साथ प्रारम्भ हो गया है। मेले में आये अनुयाईयों को सम्बोधित करते हुए संस्था के राष्ट्रीय उपदेशक सतीश चन्द्र ने कहा कि महापुरुषों की पुुण्य तिथि पर भण्डारे का मतलब केवल भोजन प्रसाद लेना ही नहीं होता, बल्कि कर्मो का भण्डा फोड़ भी करना होता है। जब तक हम अपने कर्मों की शुध्दि नहीं करते है। तब तक कोई भी जीव अपने निजघर नहीं जा सकता और न ही उसका जन्म-मरण के चक्र से छुटकारा हो सकता है।
उन्होंने बताया कि हमारे दादा गुरु जी महाराज सन् 1948 के अगहन सुदी दशमी तिथि को आधी रात को नश्वर शरीर को त्याग कर सतलोकवासी हो गये। उनके मिशन को बढ़ाते हुए े बाबा जयगुरुदेव ने करोड़ो लोगों को शाकाहारी-सदाचारी व भजनान्दी बनाया। अब उनके मिशन को पंकज महाराज आगे बढ़ा रहे हैं। उनकी मेहनत का दृश्य आगे आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा। देश की बात छोड़ दें विदेशों से भी लोग यहाँ आयेंगे गुनाहों की माफी मन्दिर के देवता से मांगेंगे दया,दुआ,बरक्कत प्राप्त करेंगे। यह दादा गुरु महाराज का स्मृति चिन्ह् (नाम योग साधना मन्दिर) यहाँ आकर जो लोग सिर्फ शाकाहारी रहने का संकल्प ले लेंगे तो भी उनकी मनोकामनाएं पूर्ण हो जायेंगी।
सत्संग में राष्ट्रीय उपदेशक बाबूराम ने बताया कि जिस स्थान पर महापुरुष निवास करते हैं उस स्थान को तीर्थ कहते हैं। उस तीर्थ स्थान की मिट्टी में पाप धोने के गुण होते हैं। महात्माओं के द्वारा पवित्र की गई भूमि कभी अपवित्र नहीं होती है। मेले में पहले ही दिन कुम्भ जैसा दृश्य देखने को मिल रहा है। भारी संख्या में प्रेमियों के आने का सिलसिला जारी है।
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